राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत के मॉब लिंचिंग पर दिए गए बयान की कांग्रेस ने आलोचना की है। कांग्रेस ने उनके बयान को असंवेदनशील बताया है। राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता और प्रवक्ता आनंद शर्मा ने कहा कि मुद्दा यूरोप या भारत, अंग्रेजी या हिंदी का नहीं है। आक्रोशित भीड़ द्वारा निर्दोष, निसहाय लोगों की हत्या मानवता के लिए अस्वीकार्य है। भाषा का कोई महत्व नहीं है। उन्होंने भागवत से स्पष्ट करने की मांग की कि वह ऐसी हिंसा का समर्थन करते हैं अथवा निंदा करते हैं।

सीनियर माकपा नेता बृंदा करात ने कहा, यदि आरएसएस प्रमुख सच्चे हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने सबसे ज्यादा छवि धूमिल की है क्योंकि जुलाई, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने ही देश में हो रही मॉब लिंचिंग पर संज्ञान लिया था और सरकार को आठ-दस निर्देश दिए थे। इनमें से एक भी लागू नहीं किया गया। एआइएमआइएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ‘हमारे यहां गोडसे को चाहने वाले सांसद हैं। गांधी या तबरेज को मारने वाली विचारधारा से बड़ी भारत की छवि धूमिल करने वाली चीज नहीं हो सकती।

भागवत लिंचिंग रोकने के लिए नहीं कह रहे, वह कह रहे हैं इसे वैसा मत कहो। दरअसल संघ प्रमुख भागवत ने दशहरा रैली के दौरान कहा कि आजकल बहुप्रचलित लिंचिंग शब्द भारतीय परंपरा का हिस्सा नहीं है। भारत और हिंदू समाज को बदनाम करने के लिए इस शब्द का उपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि देश में कहीं भी किसी एक समुदाय के कुछ लोगों द्वारा दूसरे समुदाय के किसी व्यक्ति पर हमला करने की घटना सामने आती है, तो उसके लिए एक पूरे समुदाय को दोषी ठहराया जाने लगता है। ऐसी घटनाएं दोनों तरफ से हो रही हैं, मगर यह भारत की मूल प्रवृत्ति कभी नहीं रही।

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