गौरव कुमार : नगर निगम प्रशासन शहर को स्मार्ट सिटी की सूची में शामिल करने की जद्दोजहद में लगा है। मेयर सविता देवी व नगर आयुक्त विजय कुमार सिंह ने निगम के अधिकारियों और कर्मियों को अभी से ही जुट जाने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं नगर आयुक्त ने सभी को डेडलाइन भी दे दी है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह कि शहरी क्षेत्र में पेयजल सप्लाई, कचरा प्रबंधन, अतिक्रमण, ऑटो स्टैंड व वेंडिंग जोन के अलावा जलजमाव की समस्या से छुटकारा पाए बगैर स्मार्ट सिटी की श्रेणी में कैसे अपना नाम दर्ज करा सकते हैं। हालांकि शहर में पेयजल की व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए बिहार जल पर्षद के द्वारा पिछले करीब आठ माह से कवायद की जा रही है लेकिन अबतक कार्य पूरा नहीं हो सका है। बता दें कि इस योजना को दो चरणों में पूरा करने के लिए कुल 110 करोड़ व 83 करोड़ रूपए आवंटित किए गए हैं।

गंदगी का नहीं हुआ निदान
शहर में गंदगी का फैलाव किसी भी एंगल से स्मार्ट सिटी बनाने का सपना देखने वालों के लिए बड़ी चुनौती है। शहर की गंदगी को दूर करने के लिए नगर निगम के न अधिकारी और न ही कर्मी गंभीर हैं। शहरवासी भी कचरा निस्तारण के लिए पूरी तरह निगम पर ही आश्रित हैं। इतना सब होने के बाद भी जहां तहां कचरा फेंक कर निगम कर्मी और शहर के लोग शहर को और भी गंदा करने में कहां पीछे रहते हैं। कचरा निस्तारण प्रबंधन का भी अभी तक ठोस प्रबंध नगर निगम नहीं कर पाया है। हालांकि गत दिनों पुपरिया में ठोस कचरा प्रबंधन प्लांट लगाए जाने पर बात तो जरूर बनी थी लेकिन अब तक कार्रवाई कुछ भी नहीं हो पाई है। इसके अलावे बायो कम्पोस्टिंग प्लांट के लिए विभिन्न वार्डों में छह जगहों का भी चयन किया गया है। जिस पर कार्य होना बाकी है।

शहरी जल निकासी के लिए बनी योजनाएं अधर में लटकीं
शहर में जलजमाव बड़ी समस्या है। इसका मुख्य कारण जलनिकासी की व्यवस्था नहीं होना है। शहरी जल निकासी के लिए बनी योजनाएं भी लंबे समय से अधर में लटकी हुई हैं। कई नाला निर्माण योजनाएं लंबित रहने के कारण जलजमाव शहर की दूसरी सबसे बड़ी की समस्या बनी हुई है। शहर के लालगंज व भगेलु साह मुख्य नाला समेत छोटे छोटे नालों को यदि ससमय दुरूस्त कर दिया गया होता तो बेशक शहर में जलनिकासी की समस्या नहीं रहती।

सड़क पर अतिक्रमण व यातायात व्यवस्था खराब
शहर में बेतरतीब दुकानों का फैलाव और मकानों का निर्माण यातायात व्यवस्था को ध्वस्त कर रखा है। मुख्य सड़कों का अतिक्रमण भी स्मार्ट सिटी बनने के लिए अनुकूल नहीं है। जहां तहां सड़कों पर ट्रैफिक जाम ने यातायात व्यवस्था चरमरा कर रख दी है। शहर के विभिन्न चौक चौराहे पर करीब 16 जगहों पर ऑटो स्टैंड बनाने की योजना थी लेकिन अब तक नतीजा सिफर है।

कई योजनाओं का हुआ क्रियान्वयन
अपना शहर भी स्मार्ट सिटी कहलाए सबकी इच्छा होती है। इसके लिए तेजी से काम करने की जरूरत है। सभी लोगों को निगम के कार्यांे में सहयोग करने की जरूरत है। शहर में नई सरकार बनने के बाद काफी परिवर्तन हुआ है। खासकर एलईडी लाइट, डोर टू डोर वेस्ट कलेक्शन, शौचालय निर्माण, सड़क व नाला निर्माण को लेकर कई योजना तैयार की गई है और कार्य भी चल रहा है।

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