रौशन कुमार : मंगलवार को शहर के सोनार पट्टी स्थित कमला नेहरू बालिका विद्यालय में मिड डे मील का खाना खाने से आठ बच्चों की तबियत बिगड़ गई। बच्चे पेट में दर्द और जी मिचलाने की शिकायत करने लगे, जिन्हें स्कूल प्रशासन ने आनन फानन में इलाज के लिए सदर अस्पताल में भर्ती कराया। घटना मंगलवार को शहर के सोनार पट्टी स्थित कमला नेहरू बालिका विद्यालय में घटी। हालांकि एमडीएम विद्यालय के 40-50 बच्चियों ने खाया था, जिसमें 8 बच्चियों को तबियत बिगड़ गई। उल्टी के साथ पेट दर्द करने लगा।
बच्चों की शिकायत के बाद विद्यालय की शिक्षिका नसरीन अहमद ने भी खाने को चखा तो उनकी भी तबियत बिगड़ गई। उन्हें भी अस्पताल लाया गया। अस्पताल में सभी बच्चाें काे ईलाज के बाद घर भेज दिया गया है। चिकित्सक के अनुसार प्रथम दृष्टया यह फूड प्वाॅजनिंग का मामला ही लगता है। विद्यालय के प्राचार्य छुट्टी पर हैं। प्रभार में विद्यालय के शिक्षक मुजाहिद हसन रिजवी हैं जो मंगलवार को स्कूल में मौजूद थे। बीमार बच्चों में छह वर्षीय मदीना, छह वर्षीय मो आसिफ, छह वर्षीय एहसान, सात वर्षीय पंखुरी, सात वर्षीय पार्वती, आठ वर्षीय खुशी , दस वर्षीय रुखसार, सात वर्षीय जानसिर खातून शामिल है। जिनका घर विद्यालय के समीप ही है।

मेनू के हिसाब से नहीं मिल रहा खाना
वहीं शिक्षिका नसरीन अहमद ने कहा कि एनजीओ द्वारा मेनू के हिसाब से खाना नहीं दिया जाता है। मीनू के हिसाब से मंगलवार को जीरा चावल व सब्जी था जहां बच्चों को चावल और आलू सोयाबीन की सब्जी उपलब्ध कराया गया। बड़े बच्चे विद्यालय में खाना नहीं खाते। खाना खराब मिलने के कारण पूर्व में विद्यालय में विरोध किया गया था। विद्यालय में 378 बच्चे हैं। जिसमें 195 बच्चों का खाना मंगलवार को रिसीव किया गया था। सूचना पर डीपीओ कार्यालय के कर्मी विद्यालय पहुंचे। डीपीओ एमडीएम ने खाने का सैंपल इकट्ठा करवा लिया है।

एनजीओ द्वारा बच्चों को भोजन दिए जाने का विरोध
इधर बिहार राज्य विद्यालय रसोईया संघ की जिला इकाई ने मंगलवार को जिला पदाधिकारी को आवेदन देकर नगर क्षेत्र में एनजीओ द्वारा बच्चों को भोजन दिए जाने का विरोध किया है। अपने ज्ञापन में संघ के जिला प्रभारी संयोजक मो. मुशा ने कहा है कि प्रभाव में आकर मध्याह्न भोजन योजना के निदेशक ने ऐसा निर्देश जारी किया है जो बच्चों के हित से विपरीत है। एनजीओ रात का पका खाना विद्यालयों में पहुंचा रहे हैं। बासी और दूषित खाना बच्चे नहीं खा रहे। घटिया और बासी भोजन देना सुप्रीम कोर्ट की अवहेलना है और बच्चों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ है। मो. मुशा ने निदेशक के इस निर्देश के पीछे की मंशा की जांच कराने, स्कूलों का मुआयना कर सत्यता की पुष्टि करने और एमडीएम के लिए अलग से पद सृजित किए जाने जैसी मांग की है। उन्होंने कहा कि किशनगंज एमडीएम कार्यालय में भी अलोकतांत्रिक तत्व हावी हैं। उन्होंने स्थानीय अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कराए जाने की मांग की है। कहा है कि अगर समय रहते निदेशक के आदेश को निरस्त नहीं किया जाता तो संगठन लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने को विवश होगा।

एनजीओ को जारी किया गया है शोकॉज
एमडीएम डीपीओ शिवशंकर मिस्त्री ने कहा कि मामला संज्ञान में आया है। इससे पूर्व भी तेघरिया सिटी में खाने में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। इसको लेकर विभाग सहित डीएम को पत्र लिखकर जानकारी दी गई थी। साथ ही एमडीएम आपूर्ति करनेवाली एनजीओ जन चेतना जागृति एवं शैक्षणिक विकास मंच को शोकॉज जारी किया गया है। आज की घटना के बाद खाने का सैंपल मंगाया गया है। विधिसम्मत कार्रवाई की जाएगी।

खतरे से बाहर सभी बच्चे
बच्चों का इलाज कर रहे डॉ. शाहनवाज ने कहा कि प्रथमदृष्टया मामला फूड पॉयजनिंग का लग रहा है। बच्चों का इलाज किया गया है। जरूरत की दवा व इंजेक्शन दी गई है। सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं। खाना की जांच कराने की जरूरत है।

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