अविनाश भगत: जम्मू-कश्मीर शासन मौजूदा वक्त पर दो बड़ी चुनौतियों का सामना कर रहा है। एक जहां उसे लददाख तथा जम्मू कश्मीर दोनों संघ शासित प्रदेशों के लिए अपने अफसरों व कर्मचारियों को तय करने का फैसला लेना है। वहीं उसके सामने आतंकी हमलों की आशंका से निपटने की भी चुनौती है। सूबे के शासन ने अपने तमाम अफसरों व कर्मचारियों से एक फाॅर्म के जरिए उनकी इच्छा पूछी है कि वह उक्त दोनों में से किस संघ शासति प्रदेश में नौकरी करना चाहेंगें। परंतु इस बावत अंतिम फैसला शासन को ही लेना है।

अंतिम फैसला शासन का
मालूम हो कि सूबा-ए जम्मू-कश्मीर को विभाजित कर बनाए गए दो संघ शासित प्रदेशों को अगामी 31 अक्टूबर को अमल में लाया जाना है। जिसे लेकर मौजूदा शासन अपने अफसरों तथा कर्मचारियों से एक फाॅर्म के जरिए उनकी इच्छा पूछ रहा है कि वह लद्दाख अथवा जम्मू-कश्मीर में कहां काम करना चाहेंगे। लेकिन यह भी कहा गया है कि अंतिम फैसला शासन को लेना है कि अमुख अफसर अथवा कर्मचारी की तैनाती उक्त दोनों संघ शासित प्रदेशों में से कहा की जाऐगी।

पाकिस्तान बडे़ आतंकी हमलों को दे सकता है अंजाम…
सूत्रों से यह भी जानकारी आ रही है कि पाकिस्तान की ओर से सरहद से लेकर घाटी अथवा देश के अन्य हिस्सों में बड़े आतंकी हमलों की साजिश को अंजाम दिया जा सकता है। बता दें कि, बीती 5 अगस्त को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने संसद में भारी बहुमत के साथ जम्मू-कश्मीर में लागू विवादित धारा 370 व अनुच्छेद 35ए को हटाने के साथ-साथ सूबे को दो हिस्सों में बांटकर संघ शासित प्रदेश बनाने का ऐलान किया। जिससे न केवल घाटी आधारित दलों व नेताओं के साथ साथ अलगाववादियों में खलबली मच गई बल्कि पाकिस्तान भी बुरी तरह बौखला गया।

लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रहा पाकिस्तान
बौखलाया पाकिस्तान अपनी पालतू आतंकी तंजीमों के जरिए जम्मू-कश्मीर तथा शेष भारत में बड़ी हिंसक गड़बड़ियों को अंजाम देना चाहता है। पाकिस्तान की ओर से गत एक अरसे से आतंकियों की घुसपैठ का सरहद पर लगातार दवाब बनाने की कोशिश की जा रही है। इसीलिए वह भारत-पाक सीमा हो अथवा नियंत्रण रेखा लगातार संघर्ष विराम का उल्लंघन कर रहा है। जिसका भारतीय सेना व बीएसएफ मुंहतोड़ जवाब भी दे रही है।

सुरक्षा एजेंसियां सतर्क
बताया गया कि जिस प्रकार आतंकी हमलों की आशंका लगातार बनी हुई है, उसे देखते हुए केंद्र सरकार, सूबे का शासन, खुफिया तथा सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह सतर्क हैं। गौरतलब है कि इसी प्रकार के इनपुट्स के चलते घाटी के अलावा मंदिरों के शहर जम्मू में भी सुरक्षा के अत्याधिक कड़े बंदोबस्त किए जा रहे हैं।

जम्मू में खुलेगा नागरिक सचिवालय
बता दें कि अगामी 31 अक्तूबर को दोनों संघ शासित प्रदेश अमल में लाए जाऐंगें, जिसे लेकर उस दिन श्रीनगर में पहले उपराज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह के साथ-साथ दोनों यूटी का विधिवत ऐलान किया जाऐगा। वहीं अगामी माह संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का दरबार मूव के बाद जम्मू में ही नागरिक सचिवालय खुलेगा। जिसे लेकर सुरक्षा संबंधी कदम उठाए जा रहे हैं।

 

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