अविनाश भगत: अगामी 24 अक्तूबर को सम्पन्न होने जा रहे ब्लाॅक डवेलपमैंट कौंसिल यानि बीडीसी के चुनावों में भाजपा प्रत्याशियों को मोदी नाम का सहारा है। जबकि गैर भाजपा यानि पैंथर्स पार्टी तथा निर्दलीय प्रत्याशी अपनी अपनी किस्मत निजी सम्पर्क अभियान के जरिए आजमा रहे हैं। लेकिन गैर भाजपा प्रत्याशियों का आरोप है कि बिना पंचायती राज 73वें संशोधन के कैसे पंचायते सशक्त बन सकती हैं। केंद्र सरकार व शासन पर इस संशोधन को बिना अमल में लाए चुनाव कराने का विरोधी आरोप लगा रहे हैं।

सूबे में पहली बार बीडीसी चुनाव
मालूम हो कि सूबे में बीडीसी चुनाव की कवायद पहली बार हो रही है और सूबे भर में 283 बीडीसी के लिए अगामी 24 अक्तूबर को मतदान होना है। जिसमें सरकार की घोषणा के मुताबिक महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण तय किया गया। वहीं अन्य आरक्षित वर्गों की कुछ 105 बीडीसी सीटें हैं। बता दें कि, बीडीसी चुनाव में 1 हजार 65 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

पंचायत चुनाव में निर्वाचित हुए पंच तथा सरपंच करेंगे मतदान
इस चुनाव में जम्मू, घाटी तथा लद्दाख में गत वर्ष सम्पन्न हुए पंचायत चुनाव में निर्वाचित हुए पंच तथा सरपंच मतदान करेंगें। जिसे लेकर सूबे के चुनाव विभाग ने कश्मीर में 68, जम्मू में 79 तथा लद्दाख में 16 पर्यवेक्षकों की तैनाती की है। वहीं कुल 310 बीडीसी चेयरमैन में से 27 बीडीसी के लिए चेयरमैन निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं।

मोदी फैक्टर पर निर्भर भाजपा प्रत्याशी
दिलचस्प बात है कि दलीय आधार पर होने जा रहे इस चुनाव में जहां पैंथर्स पार्टी तथा निर्दलीय निजी रसूख को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं, वहीं भाजपा की इस चुनावी वैतरणी भी मोदी फैक्टर पर निर्भर दिखाई देती है। चूंकि भाजपा के प्रत्याशी पंचों-सरपंचों से मोदी नाम का वास्ता देकर समर्थन जुटाने में लगे हैं।

भाजपा समर्थित कईं प्रत्याशी निर्दलीय चुनावी मैदान में
घाटी में हालात भले अभी भी साजगार नहीं दिखाई देते। परंतु फिर भी बीडीसी के सबसे ज्यादा प्रत्याशी जिला कुपवाड़ा के बाद बारामुला में खडे हैं। प्राप्त जानकारी के मुताबिक तीसरे नंबर पर जम्मू, चैथे नंबर राजौरी, पांचवें नंबर पर डोडा छठे नंबर पर कठुआ तथा सातवें नंबर पर उधमपुर जिला के अलावा इसके बाद जम्मू संभाग के ही कुछ अन्य जिले हैं। सूत्रों का कहना है कि घाटी में आतंकी हमले की आशंका के मद्देनजर भाजपा समर्थित कईं प्रत्याशी निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं।

 

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