भारत ने आसियान देशों के प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते यानी रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप में शामिल नहीं होने का बड़ा निर्णय लिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि RCEP में शामिल होने को लेकर उसकी कुछ मसलों पर चिंताएं थीं, जिन्हें लेकर स्पष्टता न होने की वजह से देश हित में यह क़दम उठाया गया है।
‘अपनी आत्मा की आवाज़’ पर लिया फ़ैसला
पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे ‘अपनी आत्मा की आवाज़’ पर लिया फ़ैसला कहा है, जबकि कांग्रेस इसे अपनी जीत के रूप में पेश कर रही है। सोमवार को जब पीएम नरेंद्र मोदी ने बैंकॉक में RCEP सम्मेलन में भाग लिया तो सबकी निगाहें इस बात पर टिकी थीं कि वह भारत को इस समझौते में शामिल करेंगे या नहीं। बताया जा रहा था कि भारत इस व्यापार समझौते पर दस्तखत कर देगा और इसी बात को लेकर कई किसान और कारोबारी संगठन विरोध कर रहे थे।
भारत ने आरसीईपी में शामिल नहीं होने का लिया फ़ैसला
लेकिन आरसीईपी सम्मेलन के बाद शाम को भारत के विदेश मंत्रालय की सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह ने जानकारी दी कि शर्तें अनुकूल न होने की वजह से राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए भारत ने आरसीईपी में शामिल नहीं होने का फ़ैसला लिया गया है। उन्होंने कहा है कि RCEP को लेकर भारत के मसलों और चिंताओं का निराकरण न होने के कारण इसमें शामिल होना संभव नहीं है।