अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा चंद्रमा पर फिर मानव मिशन को 2024 तक भेजने की तैयारियों में जुटी है। इसके लिए नासा के वैज्ञानिक चाँद से जुड़ी छोटी से छोटी जानकारी जुटाने के साथ ही वहां से पूर्व में इकट्ठा किए गए नमूनों का भी विश्लेषण कर रहे हैं। अब चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों के उन नमूनों का अध्ययन किया जाएगा, जो अपोलो कार्यक्रम के आखिरी अभियान में जुटाए गए थे।
अपोलो 17 अभियान से जुटाए गए नमूनों का विश्लेषण
यह अध्ययन अपोलो नेक्स्ट-जेनरेशन सैंपल एनालिसिस (एएनजीएसए) पहल का हिस्सा नासा द्वारा किया जायेगा। इसके द्वारा अपोलो 17 अभियान से जुटाए गए नमूनों का अत्याधुनिक तकनीकों की सहायता से फिर विश्लेषण किया जा रहा है। बीते चालीस वर्षो में पहली बार ऐसा होने जा रहा है। जिन नमूनों को मंगलवार को अध्ययन के लिए दोबारा निकाला गया, वह अपोलो 17 अभियान के अंतरिक्ष यात्री जीन सरनान और जैक श्मिट धरती पर लाए थे। अपोलो की बहनों के नाम पर अभियान का नाम ‘आर्टिमिस ‘ दिया गया है, जो अपोलो की जुड़वां बहनें मानी जाती हैं। एजेंसी की मानें तो उसका स्पेस कार्यक्रम ‘आर्टिमिस’ उसके मंगल मिशन में बेहद अहम भूमिका निभाएगा। नासा के अनुसार, ‘मंगल पर हमारा रास्ता आर्टिमिस ही बनाएगा। यह मिशन अपोलो कार्यक्रम से प्रेरणा लेकर अपना रास्ता तय करेगा।
नए उपकरणों के साथ वैज्ञानिकों को चंद्रमा पर भेजेगा नासा
एएनजीएसए प्रोग्राम की वैज्ञानिक सारा नोबल ने कहा है की, इन नमूनों के विश्लेषण से वैज्ञानिकों को तकनीक उन्नत करने में मदद मिलेगी। साथ ही खगोलविद और अंतरिक्ष यात्री भविष्य के चंद्र अभियानों की तैयारियां भी बेहतर तरीके से कर पाएंगे।’ अपने आर्टिमिस प्रोग्राम के तहत नासा चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए नए उपकरणों और प्रौद्योगिकी के साथ वैज्ञानिकों को भेजेगा। उम्मीद की जा सकती है कि वर्ष 2024 तक अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी चाँद की सतह पर अपने अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने में सफल होगी। बिते दिनों नासा ने कहा था की वह आने नए मिशन में पहले महिला को फिर पुरुष को चाँद की सतह पर उतारेगी।