विधानसभा चुनाव के बाद अब वक़्त आया है किसी एक के सरकार बनने का, वहीं महाराष्ट्र सरकार गठन को लेकर चल रही सियासी खींचतान के बीच शिवसेना मुख्य उद्धव ठाकरे आज राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने के लिए दावा पेश करने वाले हैं। इसको लेकर शिवसेना नेता संजय राउत कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी मुलाकात करने दिल्ली रवाना हो गए हैं।

‘मातोश्री’ में शिवसेना नेताओं के बीच बैठक
जानकारी के अनुसार इसको लेकर उद्धव ठाकरे के मुंबई स्थित आवास ‘मातोश्री’ में देर रात तक शिवसेना नेताओं के बीच बैठक की गयी है। जंहा उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, एकनाथ शिंदे, अनिल देसाई, मिलिंद नार्वेकर और प्रियंका चतुर्वेदी ने साढ़े तीन घंटे तक सरकार बनाने को लेकर तीन घंटे तक वार्तालाप किया। मीटिंग के बाद सभी नेता मीडिया से बात करने से बचते दिखाई दिए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इस बात का खुलासा हुआ कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। एनसीपी और कांग्रेस के साथ हुई डील में तय हुआ है कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे अजित पवार को उप मुख्यमंत्री का पद मिलने कि आशंका जताई जा रही है, और जयंत पाटिल को गृहमंत्री का पद दिया जा सकता है। वहीं, कांग्रेस को विधानसभा अध्यक्ष का पद दिया जा सकता है।

कोश्यारी ने शिवसेना नेता से कही ये बात..
जानकारी के अनुसार राज्यपाल की तरफ से शिवसेना को यह निमंत्रण भाजपा द्वारा सरकार बनाने से सख्त मना करने के बाद आया है। जहां भाजपा नवनिर्वाचित विधानसभा में 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि शिवसेना 56 विधायकों के साथ दूसरी सबसे बड़ी पार्टी होगी। ऐसा माना जा रहा है कि कोश्यारी ने शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे से कहा कि वह इस मामले पर अपने रुख से अवगत कराएं। यद्यपि राजभवन की तरफ से भेजे गए पत्र पर कोई समयसीमा नहीं तय की गई है, लेकिन समझा जाता है कि शिवसेना के पास राज्यपाल के सामने सरकार बनाने के लिए जरूरी विधायकों की संख्या के साथ दावा करने के लिए मुश्किल से 24 घंटे का समय दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, शिवसेना तीसरी सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (55 विधायक) और चौथी सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस (44 विधायक) से बाहर से समर्थन हासिल कर पाएंगे। जहां राकांपा और कांग्रेस ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि उनका समर्थन इस शर्त पर होगा कि शिवसेना, भाजपा के साथ अपना गठबंधन खत्म कर दे और उसके बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल में उसके एकमात्र मंत्री अरविंद सावंत इस्तीफा दे दें।

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