मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में नागरिकता संशोधन बिल को पास कराने की तैयारी में है। मंत्रिमंडल ने बुधवार को इस बिल पर अपनी मुहर लगा दी है और पूर्वोत्तर प्रदेशों के विरोध के चलते इसमें कुछ परिवर्तन भी किए गए हैं। बिल के तहत नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधान बदले जाएंगे और कुछ देशों के नागरिकों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

नागरिकता बिल में किए गए बदलाव से अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं के साथ ही सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाइयों के लिए बिना वैध कागज़ातों के भी भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकेंगे. यह सभी समुदाय अपने राष्ट्र में अल्पसंख्यक हैं। इन धर्मों के वह लोग जिनके साथ उनके राष्ट्र उत्पीड़न होता आया है अब भारत के नागरिकता प्राप्त करने के हकदार हो सकते हैं। भारत में अभी तक नागरिकता प्राप्त करने के लिए 11 वर्ष देश में रहने की शर्त थी, जिस अवधि को संशोधन के माध्यम से कम किया गया है। बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के शरणार्थियों को अब 6 वर्ष भारत में रहने के बाद नागरिकता दिए जाने का प्रावधान है।

विधेयक के कानून बनने के बाद इन तीन देशों के गैर मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, बशर्ते वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हों। इस तारीख से पूर्व आए शरणार्थी ही नागरिकता पाने के लिए अर्जी दे सकते हैं। पूर्वोत्तर के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर देश के प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में यह कानून लागू होगा और नागरिकता प्राप्त करने वाले शरणार्थी देश के किसी भी हिस्से में रहने के अधिकारी होंगे।

Previous articleशिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका,400 शिवसेना कार्यकर्ताओं ने थामा बीजेपी का हाथ
Next articleदिल्ली में डीयू के कॉलेजों में अतिथि शिक्षकों का धरना प्रदर्शन जारी

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here