सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने बुधवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर हालात कभी भी खराब होने कि आशंका जताई जा रही है और सेना ऐसी किसी भी परिस्थिति से निपटने के लिए तैयार है। जहां जनरल रावत ने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब अगस्त में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से पाकिस्तान की ओर से नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम उल्लंघन काफी बढ़ गया है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी. किशन रेड्डी ने पिछले महीने लोकसभा में बताया भी था कि अगस्त, 2019 से अक्टूबर, 2019 के बीच नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम की 950 घटनाएं रेकड किया गया है।
सुरक्षाकर्मियों को बना रहे निशाना
पाकिस्तान की बॉर्डर एक्शन टीमें (बैट) लगातार नियंत्रण रेखा पर भारतीय सुरक्षाकर्मियों को निशाना बनाने की कोशिशें कर रही हैं। पाकिस्तान हर तीसरे-चौथे दिन बैट के अभियानों को अंजाम दे रहा है। बैट में सामान्यत: पाकिस्तानी सेना के विशेष बलों के कर्मी और आतंकी शामिल होते हैं। पूर्व में बैट द्वारा भारतीय सैनिकों के शवों को क्षतविक्षत करने की घटनाएं भी हो चुकी हैं।
जनरल रावत ने आक्रामक नीति अपनाने में अहम भूमिका निभाई
बता दें कि 31 दिसंबर, 2016 को सेना प्रमुख का पद संभालने के बाद से जनरल रावत ने घाटी में सीमा पार से आतंकवाद से निपटने में आक्रामक नीति अपनाने में अहम भूमिका निभाई है लेकिन 31 दिसंबर 2019 को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, लेकिन पूरी संभावना है कि उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किया जाएगा। इस बीच, सुरक्षा बलों के आकलन के मुताबिक घाटी में हालात काफी हद तक नियंत्रण में आ चुके हैं, लेकिन अभी भी सतर्कता काफी जरूरी है ताकि हालात न बिगड़ें। जहां कश्मीर की स्थिति पर बेहद बारीकी से नजर रखी जा रही है और सटीक आकलन के बाद ही हर कदम उठाया जाएगा।