भारत में कल यानी 26 दिसंबर को वर्ष 2019 का अंतिम सूर्य ग्रहण पड़ने वाला है। बता दें कि यह साल का तीसरा सूर्यग्रहण है, लेकिन पूर्ण सूर्यग्रहण के रूप में यह साल का पहला ग्रहण होगा। भारतीय समयानुसार यह ग्रहण सुबह 8:17 मिनट से 10: 57 मिनट तक रहेगा। यही वजह है कि वैज्ञानिकों के लिए और खगोलिय घटनाओं पर नजर रखने वालों के लिए इस दिन के बेहद खास मायने हैं। इस दौरान वैज्ञानिक सूर्य के वायुमंडल की गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास करेंगे। इससे पहले इस साल छह जनवरी और दो जुलाई को आंशिक सूर्यग्रहण लगा था, लेकिन, ये भारत में दिखाई नहीं दिए थे। इस वर्ष के अंतिम सूर्यग्रहण की खास बात ये है कि इस बार ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाएगा। ये इस बार 25 दिसंबर की शाम से 26 दिसंबर तक रहेगा। इस ग्रहण के दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। यह सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा।
बता दें कि वर्ष के इस अंतिम सूर्य ग्रहण को भारत समेत नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान, चीन, ऑस्ट्रेलिया आदि देशों में असर दिखाई देगा। वैज्ञानिकों की मानें तो दक्षिण भारत में यह सबसे बेहतर तरीके से दिखाई देगा। यहां पर डायमंड रिंग का नजारा बेहद अदभुत होगा। वहीं भारत के अन्य भागों में आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जायेगा। इस सूर्य ग्रहण की कुल अवधि करीब 3.30 घंटे की रहेगी जबकि भारत में सूर्य ग्रहण सुबह 8.04 बजे से शुरू हो जायेगा। ग्रहण के शुरू और समाप्त होने का समय अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग होगा।
बता दें कि पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है। वहीं चंद्रमा पृथ्वी के चक्कर काटता है। इसी प्रक्रिया में जब चंद्रमा सूर्य और धरती के बीच आकर सूर्य की रोशनी को धरती पर आने से रोक देता है तो इसको सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना अक्सर अमावस्या के ही दिन होती है। अक्सर चंद्रमा इस प्रक्रिया के दौरान सूर्य के कुछ ही भाग को ढक पाता है जिसको खंड ग्रहण कहा जाता है। वहीं जब चंद्रमा सूर्य के करीब 97 फीसद भाग को ढक लेता है तो इसको वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं। ऐसा नजारा धरती पर कम ही देखने को मिलता है।