भगौड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को शीर्ष अदालत ने फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत में कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें कहा गया था कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की तरफ से जब्त की गई संपत्ति बैंकों को देकर माल्या की तरफ से ली गई लोन की रकम वसूल की जाए। इस प्रकरण पर सुनवाई करते हुए शीर्ष अदालत ने माल्या को खरी- खरी सुनवाई है।

अदालत ने कहा कि माल्या ने बैंकों को एक पैसा भी वापस नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है। दरअसल, न्यायमूर्ति नरीमन के पिता सीनियर एडवोकेट फली नरीमन आरोपी विजय माल्या के लिए दूसरे मामले में पैरवी कर चुके हैं। बता दें कि माल्या भारतीय बैंकों से लिए गए 9,000 करोड़ रुपये के लोन को चुकाए बगैर भारत से भाग गया था और अभी इंग्लैंड में प्रत्यर्पण संबंधी प्रक्रियाओं से गुजर रहा है।

गत वर्ष जनवरी में स्पेशल कोर्ट ने माल्या को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया था और धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) से जुड़े मामलों में उसकी संपत्ति जब्त करने की कार्यवाही आरंभ कर दी थी। वहीं, फरार चल रहे शराब कारोबारी विजय माल्या के स्वामित्व वाला किंगफिशर हाउस तीन वर्ष में एक दफा फिर 8वीं बार नीलामी के लिए रखा जा चुका है।

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