उच्चतम न्यायालय ने 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या मामले के दोषियों को अंगदान करने तथा शव चिकित्सीय अनुसंधान के लिये देने का विकल्प उपलब्ध कराने का तिहाड़ जेल प्रशासन को निर्देश देने के बारे में दायर याचिका सोमवार को खारिज कर दी। यह याचिका उच्च न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश ने दायर की है। न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने कहा, ‘‘जनहित याचिका के माध्यम से आप ऐसा निर्देश देने का अनुरोध नहीं कर सकते। यदि वे (दोषी) ऐसा करना चाहते हैं, वे स्वयं या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से इस बारे में अपनी इच्छा व्यक्त कर सकते हैं।’’ याचिकाकर्ता बंबई उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश माइकल एफ सल्दाना के वकील ने अपनी दलीलें देना जारी रखा तो पीठ ने कहा कि पूर्व न्यायाधीश की याचिका गलत अवधारणा पर आधारित है।पीठ ने कहा, ‘‘किसी व्यक्ति को फांसी देना परिवार के लिये बहुत ही दुखद है।

आप (याचिकाकर्ता) चाहते हैं कि उनके शव के टुकड़े किये जायें। थोड़ी तो मानवीय संवेदना रखिये। अंगदान स्वेच्छा से होता है।’’याचिकाकर्ता पूर्व न्यायाधीश सल्दाना ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि मौत की सजा पर अमल से संबंधित सारे मामलों में इस तरह की शर्त लगाने की वांछनीयता पर विचार किया जाये। दक्षिण दिल्ली में 16-17 दिसंबर, 2012 को हुये इस जघन्य अपराध के लिये चार दोषियों-मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार- को मौत की सजा सुनायी गयी थी।

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