दिल्ली उच्च न्यायालय में एक नई याचिका दायर कर बुधवार को आरोप लगाया गया कि कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, सलमान खुर्शीद और भाजपा के अनुराग ठाकुर तथा कपिल मिश्रा ने नफरत भरे भाषण दिए। याचिका में कथित रूप से नफरत पैदा करने भाषण देने वालों के खिलाफ मामले दर्ज करने तथा उत्तर पूर्वी दिल्ली में पिछले महीने दंगों में संपत्ति को पहुंचे नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने का भी अनुरोध किया गया है।

दीपक मदान की ओर से दायर याचिका में अनुरोध किया गया है कि कथित रूप से नफरत भरे भाषण देने वालों की संपत्ति कुर्क की जाए और उसे राष्ट्रीय राजधानी में हुई साम्प्रदायिक हिंसा के पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए बेचा जाए। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक नेताओं की ओर से दिए गए कथित नफरत भरे भाषण न सिर्फ अपमानजनक थे, बल्कि भड़काऊ भी थे और इनके कारण हाल में दंगे हुए। याचिका में कथित रूप से नफरत भरे भाषणों को लगातार पोस्ट करने और देश की एकता को अस्थिर करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत इन नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने का अनुरोध किया गया है, क्योंकि उनके भाषणों की वजह से उत्तर पूर्वी दिल्ली के अलग-अलग स्थानों पर संपत्ति की तबाही मची। याचिका में दावा किया गया है कि कथित रूप से नफरत भरे भाषण देने वाले राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई जबकि उनके नफरत भरे और भड़काऊ भाषणों का असर दिल्ली के उत्तर पूर्वी, पूर्वी दिल्ली और शाहदरा जिलों में देखने को मिला जहां दंगों और भीड़ के हमलों में लोगों की जानें गईं, संपत्ति का नुकसान हुआ और कई लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए। याचिका में दावा किया गया है कि पुलिस दंगाइयों को रोकने के लिए कदम उठाने के बजाय मूक दर्शक बनी रही। याचिका में आरोप लगाया गया है कि जब राजनीतिक नेताओं ने सार्वजनिक मंचों से नफरत भरे भाषण दिए तब दिल्ली पुलिस ने उनपर ध्यान नहीं दिया। दिल्ली पुलिस ने राजनीतिक नेताओं पर वक्त पर कार्रवाई नहीं की जिससे उन्हें और नफरत भरे भाषण देने और लोगों को उकसाने से रोका जा सकता था, जिससे इतना बड़ा नरसंहार हुआ।

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