दिल्ली में सभी निचली अदालतों के प्रशासनिक प्रमुख तीस हजारी अदालत के जिला न्यायाधीश ने कोरोना वायरस से पैदा स्थिति के मद्देनजर ड्यूटी पर तैनात न्यायिक अधिकारियों और अन्य हितधारकों के बीच शारीरिक संपर्क कम से कम हो इसके लिए रविवार को एक परामर्श जारी किया। इसमें वकीलों और वादियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपनी दलीलें रखने को कहा गया है। जिला और सत्र न्यायाधीश गिरीश कठपालिया ने हालांकि स्पष्ट किया है कि सभी हितधारकों की सहमति से ही प्रक्रिया को अपनाना चाहिए और अत्यंत जरूरी होने की स्थिति में ही मामलों की सुनवाई की अनुमति देनी चाहिए। देश में लॉकडाउन (बंद) के पहले सप्ताह में कुछ न्यायाधीशों ने दोनों पक्षों के वकीलों की मौजूदगी के साथ जमानत के मामलों में सुनवाई की।

न्यायाधीश कठपालिया ने जारी परिपत्र में कहा है, ‘‘कोरोना वायरस महामारी के कारण इन दिनों अप्रत्याशित हालात के कारण तीस हजारी अदालत परिसर में ड्यूटी पर तैनात सभी न्यायिक अधिकारियों और अन्य हितधारकों के बीच भौतिक रूप से संपर्क की संभावना को कम से कम करने के लिए परामर्श प्रोटोकॉल को रूप दिया गया है।’’परिपत्र में कहा गया कि प्रशासनिक अधिकारी (न्यायिक)(एओ(जे)) अगर मान लेते हैं कि मामला अत्यंत जरूरी है तो वकीलों और वादियों को सारे कागजात पीडीएफ प्रारूप में ई-मेल करना होगा।अगर वकील/वादी वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए दलीलों के लिए सहमत होते हैं तो एओ(जे) समय तय करेंगे और इस बारे में न्यायिक अधिकारियों तथा संबंधित अभियोजकों को फोन के साथ ही ई-मेल के जरिए अवगत कराएंगे। इसके बाद आगे की प्रक्रिया होगी।

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