कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सरकार द्वारा किए गए लॉकडाउन का असर कोर्ट के कामकाज पर भी पड़ा है। देशभर में कोर्ट की कार्यवाही पर पड़े असर को कम करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल कोर्ट खोलने की घोषणा की है। इन वर्चुअल कोर्ट में केवल जरूरी मामलों की ही सुनवाई होगी, वहीं वादियों और वकीलों को कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग भी दी जाएगी। यह कोर्ट सामान्य स्थिति लौटने के बाद भी कार्य करती रहेंगी।

सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी के अध्यक्ष जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार दोपहर को देश के 23 उच्च न्यायालयों की ई-समितियों के प्रमुख न्यायाधीशों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया। जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि ट्रायल कोर्ट सहित देश की सभी अदालतों में ई-फाइलिंग की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। इन अदालतों में वीडियो कॉनफ्रेंसिंग की सहायता से जरूरी मामलों को सुना जाएगा।

यह भी निर्णय लिया गया कि इस कार्यवाही की वीडियो रिकार्डिंग संबंधित कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी जिससे वादी और वकील देख सकेंगे। वीडियो उपलब्ध कराने के पीछे यह भी तर्क दिया जा रहा है कि कोर्ट तत्काल कार्यवाही की प्रभावशीलता को भी बताना चाहती है।

सुनवाई के अगले दिन वेबसाइट पर उपलब्ध होगा वीडियो

सुप्रीम कोर्ट के एक अधिकारी के अनुसार, पर्याप्त बैंडविड्थ की उपलब्धता और डेडिकेटेड सर्वरों पर होस्टिंग प्रोसिडिंग का आंकलन करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि अदालत की कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिंग सुनवाई के अगले दिन तक वेबसाइट पर उपलब्ध होगी।

इस बैठक में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 6 के अनुरूप ई-फाइलिंग को लागू करने का निर्णय लिया गया। इसके द्वारा सरकारी अधिकारी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उपयोग करके सभी लेनदेन वैध (लीगल) बनाते हैं। जिसके बाद इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का मूल्य भी कागजी रिकॉर्ड के बराबर हो जाता है।

वकीलों और वादियों के लिए कई मुफ्त सुविधाएं

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ के नेतृत्व में हुई इस बैठक में सभी न्यायाधीश लॉकडाउन की अवधि के दौरान वकीलों और वादियों को ई-फाइलिंग, स्कैनिंग और अपलोड करने की मुफ्त सुविधा प्रदान करने के बारे में एकमत थे। यह भी निर्णय लिया गया कि वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के लिए कैमरा, डेस्कटॉप आदि के खर्च के लिए हाईकोर्ट ई-कोर्ट परियोजना के दूसरे चरण के आपात निधि का उपयोग कर सकते हैं।

 

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