उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को निर्देश दिया कि सरकार से मंजूरी प्राप्त सभी सरकारी और निजी प्रयोगशालाओं में कोविड-19 के संक्रमण की जांच मुफ्त में की जानी चाहिए। न्यायालय ने केन्द्र को तत्काल ही इस संबंध में निर्देश जारी करने को कहा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि निजी अस्पतालों और प्रयोगशालाओं को राष्ट्र के समक्ष उत्पन्न इस संकट से निबटने के लिये कोरोना वायरस महामारी के प्रसार पर अंकुश पाने के लिये महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस रवीन्द्र भट की पीठ ने कोविड-19 की जांच मुफ्त में कराने के लिये दायर एक जनहित याचिका की वीडियो कांफ्रेन्सिग के माध्यम से सुनवाई के बाद केन्द्र को इस बारे में निर्देश दिये। पीठ ने कहा कि कोविड-19 से संबंधित जांच एनएबीएल से मान्यता प्राप्त या फिर विश्व स्वास्थ संगठन या भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद से मंजूरी प्राप्त किसी एजेंसी द्वारा ही करायी जानी चाहिए।

पीठ ने अपने चार पेज के आदेश में कहा, ‘‘अत: हम यह अंतरिम निर्देश देते हैं: (1) मंजूरी प्राप्त सरकारी प्रयोगशाला या स्वीकृत निजी प्रयोगशाला में होने वाली कोविड-19 से संबंधित जांच नि:शुल्क होगी। केन्द्र और अन्य प्राधिकारी इस संबंध में तत्काल निर्देश जारी करेंगे और (2) कोविड-19 से संबंधित ये परीक्षक एनएबीएल से मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं या फिर विश्व स्वास्थ संगठन या आईसीएमआर से मंजूर किसी एजेंसी में ही होनी चाहिए।’’न्यायालय ने कहा कि विश्व स्वास्थ संगठन द्वारा कोविड-19 को 11 मार्च को महामारी घोषित किये जाने से पहले ही यह संक्रमण कई देशों में फैल चुका था ओर इस समय करीब दो सौ देश इस महामारी की चपेट में हैं। शीर्ष अदालत ने भारत की अत्यधिक आबादी का जिक्र करते हुये कहा, ‘‘दुनिया भर में कोविड-19 महामारी से जान गंवाने वालों की संख्या में वृद्धि के साथ ही इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा अनेक कदम उठाये जाने के बावजूद हमारी देश में मरीजों और इसकी वजह से हो रही मौतों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ रही है।’’न्यायालय ने अधिवक्ता शशांक देव सुधि की जनहित याचिका पर ये निर्देश जारी किये।

सुधि ने निजी अस्पतालों और प्रयोगशाओं में कोविड-19 की जांच की कीमत 4,500 रूपए निर्धारित करने संबंधी भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के 17 मार्च परामर्श पर सवाल उठाते हुये देश में सभी नागरिकतों को यह परीक्षण मुफ्त में करने का सरकार और प्राधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया था। पीठ ने कहा, ‘‘हमें याचिकाकर्ता की दलीलों में पहली नजर में वजन नजर आता है कि राष्ट्रीय आपदा के समय निजी प्रयोगशालाओं को कोविड-19 की जांच के लिये 4,500 रूपए लेने की अनुमति देना देश की बड़ी आबादी के वश की बात नहीं है और किसी भी व्यक्ति को जांच की कीमत अदा करने में सक्षम नहीं होने के कारण कोविड-19 की जांच कराने से वंचित नहीं किया जाना चाहिए।’ न्यायालय ने केन्द्र के इस कथन का भी संज्ञान लिया कि सरकारी प्रयोगशालायें कोविड-19 की जांच मुफ्त कर रही हैं। न्यायालय ने कहा कि संकट की इस घड़ी में निजी अस्पतालों और निजी प्रयोगशालाओं को अपनी सेवायें उपलब्ध करा कर इस महामारी पर अंकुश पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है।पीठ ने इस याचिका पर सरकार को नोटिस जारी कर उससे दो सप्ताह में जवाब मांगा है। साथ ही पीठ ने स्पष्ट किया कि इस सवाल पर बाद में विचार किया जायेगा कि क्या कोविड-19 की जांच करने वाली निजी प्रयोगशालायें इन परीक्षण पर आने वाला खर्च प्राप्त करने की हकदार हैं।

 

 

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