मदरलैंड संवाददाता सीवान।
सीवान ।वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर सभी धर्मों के त्यौहार पूरी तरह से प्रभावित हुए हैं। इसका असर चारों तरफ देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन के दौरान होली से लेकर रामनवमी के त्यौहार तक जहाँ फींका नजर आया, वहीं मुस्लिमों का त्यौहार शब-ए-बरात भी बेनूर हो गया। शब-ए-बारात दो शब्दों, शब और बारात से मिलकर बना है, जहाँ शब का अर्थ रात होता है वहीं बारात का मतलब बरी होना होता है। इस्लामी कैलेंडर के अनुसार यह रात साल में एक बार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद शुरू होती है। मुसलमानों के लिए यह रात बेहद फज़ीलत (महिमा) की रात मानीजाती है, इस दिन विश्व के सारे मुसलमान मस्जिदों में अल्लाह की इबादत करते हैं। वे दुआएं मांगते हैं और अपने गुनाहों की तौबा करते हैं। लेकिन इस बार मुस्लिम उलेमाओं, मौलानाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अपील तथा सरकार के आदेश का पालन करते हुए सभी मुसलमानों ने लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के मद्देनजर मस्जिदों में नहीं जाकर अपने-अपने घरों में इबादत करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि लॉकडाउन के बावजूद भी कोरोना के रोज नये मामले सामने आने से लोगों में दहशत का माहौल बना हुआ है।
















