मदरलैंड संवाददाता,

हर सफाई कर्मचारी को सैनिक जैसा दर्जा दे सरकार
लुधियाना पंकज गोबिंद राव  ने सरकार से अपील की जो रात दिन देश के लिए कर्मचारी जान की परवा किए काम कर रहे है उनको भी सैनिक जैसा दर्जा देना चाहिए आज मानव जब अपनी जान बचाने के लिए घरों में बंद हो गया। उसके बाद भी सुरक्षा के बहुत सारे तरीके अपना रहा है। मगर जो लोग कोरोना जैसे अदृश्य और जानलेवा वायरस से लड़ रहें हैं उनमें सबसे असुरक्षित है सफाई कर्मचारी। जिसका कार्य क्षेत्र असीमित है। हर गली, हर सड़क, हर गाँव और सभी हॉस्पिटल।   आज सफाई कर्मचारी को अगर सफाई सैनिक कहा जाए तो यह अति कथनी नहीं होगी। सफाई सैनिक के हाथ नंगे हैं,  कपडे भी ढंग के नहीं। फिर भी हर जगह पूरी मुश्तैदी के साथ सफाई सैनिक मौजूद है और अपने काम को अंजाम दे रहा है।  कहानी और भी दर्दनाक है। सफाई सैनिक एक तरह का नहीं है। एक जो बहुत कम मात्रा में है वो जिसे परमानेंट यानि पक्का मुलाज़िम कहा जाता है। दूसरा संविधा पर दशकों से नाले में भी उतर रहा है और कूड़े की ट्रॉली  भी अपने सिर पर गंद लाद कर भर रहा है। हर सरकार उसे झूठा दिलासा ही दे रही है।
एक ठेकेदार का गुलाम है। जिसके वेतन का कोई नियम नहीं, ना ही कोई छुट्टी। छुट्टी का मतलब पूरी छुट्टी। एक और नया वज़ूद में आया वो है घर-घर जा कर कूड़ा इकठ्ठा करने वाला। पूरा महीना कूड़ा उठाने के बाद पैसे भिखारी की तरह दिए जाते है। अब तो दूर से गिराए जा रहे हैं।      डॉक्टर नर्स ने कई जगह काम करने से इसलिए मना कर दिया क्योंकि उनके लिए सुरक्षित किट PPE नहीं है। एक सफाई सैनिक के पास तो कभी कुछ रहा ही नहीं। वो है सीवर में उतरने वाला। डॉक्टर नर्स गलत नहीं हैं, उनका कहना एकदम उचित है। मगर सफाई सैनिक ख्याल भी तो करो।
बहुत सारे डॉक्टर अपनी कार में सोने लगे हैं। मगर सफाई सैनिक के पास तो कुछ भी नहीं है। उसकी तो पूरी की पूरी बस्ती बिमारियों के कीटाणु लिए घर पहुँचती है। सफाई दिवस मनाने वाली सरकार हो या स्वच्छ भारत अभियान वाली, किसी के एजंडे में सफाई सैनिक गायब है।
अभी कुछ राज्य सरकारें एक नया फैसले पर विचार कर रही हैं कि कोरोना से मृत्यु वाले शख्स का अंतिम संस्कार किसी सफाई सैनिक से करवाया जाए। देखिये कैसी मौकापरस्ती है। वैसे हम अछूत, अब जब मृत्यु सामने नज़र आने लगी तो सफाई सैनिक को आगे कर दो।
हमारा केन्द्र और राज्य सरकारों व स्थानीय निकायों सभी से यह कहना है कि सफाई और सीवर सैनिक चाहे वो पक्का मुलाज़िम हो या संविधा, ठेकेदारी या घर-घर से कूड़ा उठाने वाला सभी का एक करोड़ का बीमा हो और ये बीमा कोरोना वायरस के बाद भी रहे क्योंकि कोई-न-कोई वायरस तो आता ही रहता है।
अंतिम संस्कार अगर सरकारें चाहती हैं कि सफाई सैनिक करें तो एक प्रस्ताव पास किया जाये जैसे पहले डोम राज कालू भंगी के पास शमसान का कार्य था वैसे ही हमें कानूनन सौंप दिया जाए। हम बिना जाति धर्म का भेद किये अग्निदाह भी करेंगे और दफन भी।   प्रत्येक सफाई सैनिक के बच्चों की शिक्षा का सारा खर्चा {फीस, कोचिंग, मैस, PG, हॉस्टल, देश व विदेश} सभी प्रकार की शिक्षा का सरकारें उठायें। इसीसे हम, हमारा विश्व, हमारा भविष्य बच सकता है। नहीं तो सफाई सैनिक को भी डॉक्टर और नर्स की तरह काम छोड़ घर बैठना पड़ेगा।    

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