मदरलैंड संवाददाता,
■ उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्रीमती नैंसी सहाय द्वारा जानकारी दी गई है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को राष्ट्रीय स्तर पर आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के प्रावधानों द्वारा आपदा घोषित किया गया है एवं Ministry of Home Affairs द्वारा आगामी दिनांक- 03.05.2020 तक लॉक डाउन घोषित किया गया है।
इस लॉक डाउन अवधि में अति आवश्यक कार्यों, सेवाओं को आदेश में उल्लेखित शर्तों के साथ छूट दी गई है। इस श्रेणी के कुछ उद्योगों, प्रतिष्ठानों द्वारा जिला में संचालन की अनुमति देने हेतु आवेदन दिया जा रहा है। लॉक डाउन आदेश में आवेदकों को अलग से किसी प्रकार की अनुमति या आदेश का प्रावधान नहीं है और न ही इसकी आवश्यकता है। जो उद्योग व प्रतिष्ठान द्वारा कार्य प्रारंभ करेंगे वो विहित प्रपत्र में स्व-घोषणा पत्र पर आवेदन अनुमति कोषांग, उपायुक्त गोपनीय शाखा, देवघर के permissioncelldgr@gmail.com पर ई-मेल के माध्यम से उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे। साथ ही ऑफलाइन आवेदनों को स्वीकार नहीं किया जायेगा। इसके अलावे *Self Declaration form* देवघर जिला के वेबसाईट www.deoghar.nic.in पर भी उपलब्ध है। जिन श्रेणी के उद्योगों, प्रतिष्ठानों को लॉक डाउन आदेश में संचालन की छूट दी गई है उनमें सामाजिक दूरी का अनुपालन करना तथा कर्मियों की सुरक्षा यथा- उनके लिए मास्क, ग्लब्स, सेनेटाइजर आदि उपलब्ध कराना तथा कर्मियों की नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए पूर्ण सुरक्षित रूप से संचालित किया जाना है। साथ ही पूर्व में कुछ उद्योंगो, प्रतिष्ठानों को संचालन हेतु जिला स्तर से आदेश निर्गत किये गये है। इस संबंध में किसी भ्रम की स्थिति उत्पन्न न हो, इस हेतु पूर्व में प्रतिष्ठानों, उद्योंगो को निर्गत आदेश को तत्कल प्रभाव से विलोपित किये जाते है एवं निदेश दिया जाता है कि MoHA द्वारा दिये गये निदेशों के अनुसार कार्रवाई करना सुनिश्चित करेंगे।
लॉक डाउन के दरम्यान उक्त निदेशों का अनुपालन नहीं किये जाने एवं असत्य स्वधोषना करने की स्थिति में आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 की धारा-51 से 60 में वर्णित प्रावधान के अनुसार एक वर्ष की सजा या जुर्माना या दोनों किया जा सकता है। अथवा निर्देशों का अनुपालन नहीं किये जाने की स्थिति में प्रभावितों को जान-माल की क्षति होती है तो दोषी सिद्ध होने पर कारावास की अवधि दो वर्ष के लिये किये जाने का प्रवधान के तहत दण्डित किया जा सकता है। साथ ही, भारतीय दण्ड सहिता (अधिनियम सख्या-45 सन्1860) की धारा-188 के अन्तर्गत दण्डनीय होगा। इसके अतिरिक्त आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 की सुसंगत धाराओं में विधिक कार्यवाही की की जायेगी।