कोरोना वायरस के कारण सभी लोग घर पर ही समय बिता रहे हैं। लॉकडाउन के कारण सभी दुकानें बंद हैं मगर राशन और सब्जियों के दुकान खुल रही हैं। इससे लोगों को किसी चीज की दिक्कत नहीं हो रही है। हालांकि, लोगों की मजबूरी को देखते हुए कई स्थानों पर सब्जी विक्रेता मंहगी और केमिकल लगी सब्जी बेच रहे हैं। इस महामारी के दौर में एक ओर दिल्ली पुलिस कदम-कदम पर लोगों की सहायता करती नजर आ रही है, वहीँ खाद्य विभाग का छापेमार दस्ता लगता है अपना काम पूरी तरह भूल ही गया है।

करोलबाग निवासी जयप्रताप ने बताया कि सरकार ने लॉकडाउन कर बहुत अच्छा निर्णय लिया है। कोरोना को रोकने का और कोई दूसरा उपाय नहीं था। लोग अगर एक-दूसरे से मिलते रहते तो यह और बढ़ जाता। चूंकि अब तक इसका कोई इलाज नहीं है, इसलिए इसको फैलने से रोकना ही बचाव का सबसे अच्छा उपाय है। सरकार ने बहुत समझदारी के साथ राशन, दवा और सब्जियों की दुकानें खोलने की छूट दी है। इससे कम से कम लोगों को खाने-पीने की कोई दिक्कत नहीं है। अभी तक कालाबाजारी पर रोक लगी हुई है। किसी भी चीज के दाम अप्रत्याशित नहीं बढ़े हैं। लेकिन कुछ सब्जी विक्रेता जानबूझकर मंहगी और केमिकल लगी सब्जी बेच रहे हैं।

20 रुपये प्रतिकिलो मिलने वाला आलू अब 30 रुपये प्रतिकिलो बेचा जा रहा है। इतना ही टमाटर भी 50 रुपये किलों तक बेचा जा रहा है। जो कि सही नहीं है। प्रशासन ऐसे लोगों पर कार्रवाई भी कर सकता है।वहीं राजेंद्र नगर निवासी रामनिवास ने बताया कि उनके इलाके में एकदम सन्नाटा है। कोई भी व्यक्ति बाहर नहीं नजर आ रहा। ऐसी स्थिति तो पहली बार देखी है। हर कोई घर से काम कर रहा है।

हालांकि, सारे काम तो नहीं हो पा रहे मगर जितना हो पा रहा है लोग कर रहे हैं। राशन, दवा और सब्जियों की दुकानें खुली होने से राहत है। कम से कम खाने-पीने का सामान सभी को मिल जा रहा है। सरकार का लॉकडाउन का कदम बेहद ठीक है। इसके साथ ही जो लोग सड़कों पर निकल रहे हैं, उनपर और सख्ती की जानी चाहिए। सबसे अच्छी बात यह है कि लोग राशन से लेकर दवा दुकानों पर भी दूरी बनाकर रख रहे हैं। सभी मास्क पहनकर आ रहे हैं।

ऐसे फल और सब्जी खाने से हो सकती हैं ये बीमारियां

स्वास्थ्य बनाने के लिए जिन फलों और सब्जियों का हम इस्तेमाल करते हैं, वह गंभीर बीमारियों से सेहत खराब भी कर सकती हैं। पके हुए और रंगीन दिखने वाले ये पपीता, आम, केला, पाइनेप्पल, अमरूद, परवल, लौकी आदि खतरनाक केमिकल से तैयार हो रहे हैं।

स्थानीय कारोबारी कैल्शियम कार्बाइड, एसिटिलीन, एथिलीन, प्रॉपलीन, इथरिल, ग्लाइकॉल व एथनॉल से इन फलों को पका रहे हैं। इनमें से कैल्शियम कार्बाइड बेहद खतरनाक है। इस पर कई जगह प्रतिबंध है। लेकिन अपने शहर में इसका धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। कैल्शियम कार्बाइड में आर्सेनिक और फॉस्फोरस होते हैं, जो सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। रोक के बावजूद जमशेदपुर शहर में यह खुलेआम बिक रहा है।

देश में कैल्शियम कार्बाइड से फलों को पकाने पर प्रिवेंशन ऑफ फूड एडल्ट्रेशन एक्ट के तहत प्रतिबंध है। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसे तीन वर्ष कैद और 1000 जुर्माना होगा। पर शहर में शायद ही इस कानून के तहत किसी को सजा हुई हो।

इस तरह चुनें फल-सब्जियां

-उन पर कोई दाग-धब्बे न लगे हों। वो कहीं से कटे हुए न लगें।

-हमेशा फल व सब्जियों को खाने से पहले अच्छी तरह से धो लें।

-छिलका निकालकर इस्तेमाल करने से केमिकल का असर कम होगा।

-केमिकल का प्रभाव कम करने के लिए कुछ सब्जियों के ऊपरी पत्ते व परतों को निकालने के बाद इस्तेमाल करें।

-कृत्रिम तरीके से पके आम में पीले और हरे रंग के पैचेस होंगे यानी पीले रंग के बीच में हरा रंग भी दिखेगा।-प्राकृतिक रूप से पके आम में यूनीफॉर्म कलर होगा या तो पीला या हरा।

-केमिकल से पके आम का जो पीला रंग होगा, वो नेचुरली पके आम के मुकाबले बहुत ही ब्राइट होगा।

-केमिकल पके आम खाने पर मुंह में हल्की-सी जलन महसूस होगी। कुछ लोगों को दस्त, पेट में दर्द और गले में जलन तक महसूस होती है।

-जो फल बाहर से देखने में बहुत ही ब्राइट कलर के और आकर्षक लगे व सबका कलर एक जैसा लगे, संभव है कि वो केमिकल से पकाए गए हों।

-इसी तरह से सारे टमाटर या पपीते का रंग एक जैसा ब्राइट लगे, तो वो केमिकल से पके होंगे।

हो सकती हैं ये बीमारियां

-केमिकल से पके फलों के सेवन से चक्कर आना, उल्टियां, दस्त, खूनी दस्त, पेट और सीने में जलन, प्यास, कमजोरी, निगलने में तकलीफ, आंखों व त्वचा में जलन, आंखों में हमेशा के लिए गंभीर क्षति, गले में सूजन, मुंह, नाक व गले में छाले और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याएं हो सकती हैं।

-केमिकल यदि अधिक मात्र में शरीर में चला जाए, तो फेफड़ों में पानी भी भर सकता है।

-केमिकल से पके आम खाने से पेट खराब हो सकता है। आंतों में गंभीर समस्या, यहां तक कि पेप्टिक अल्सर भी हो सकता है।

-इनसे न्यूरोलॉजिकल सिस्टम भी डैमेज हो सकता है, जिससे सिर में दर्द, चक्कर, याददाश्त व मूड पर असर, नींद में परेशानी, कंफ्यूजन और हाइपोक्सिया (इसमें शरीर में या शरीर के एक या कुछ हिस्सों में ऑक्सीजन की मात्र पर्याप्त रूप में नहीं पहुंचती) तक हो सकता है।

-अगर गर्भवती इन केमिकल से पके फलों का सेवन करती हैं, तो बच्चे में भी कई असामान्यताएं हो सकती हैं।

 

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