मदरलैंड संवाददाता, पटना
कोरोना वायरस के खिलाफ जंग जीतने के लिए देश में लॉक डाउन किया गया है। यह कदम लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए उठाया गया है लेकिन यह गरीबों के लिए मुसीबत का सबब बन कर आया है।
हम एक ऐसी घटना का जिक्र करने जा रहे हैं जिसमें अमानवीय, शर्मसार जैसे शब्द भी छोटे पड़ जाएंगे। रूह कँपा देने वाली घटना उत्तर प्रदेश के बनारस में घटी है।
लॉक डाउन के बीच भूखे, बीमार, गरीब और हालात के मारे लॉक डाउन में दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पुणे और देश के तमाम शहरों से लोगों का आना थम नहीं रहा है।
इसी कड़ी में 2 दिन पूर्व बिहार के बेगूसराय जिले के बखरी प्रखंड के चकहमीद पंचायत के कोटीहारा गांव के रामजी महतो की मौत उत्तर प्रदेश के बनारस में भूख से तड़प तड़प कर हो गई। इस घटना की जानकारी मिलते ही समाजसेवी रजनीकांत पाठक एवं पूर्व एमएलसी भूमिपाल राय मृतक के घर पहुंचकर उनके परिजनों को सांत्वना दिया। पूर्व एमएलसी भूमिपाल राय ने मृतक के परिजनों से सरकारी मुआवजा दिलवाने की बात कही। रजनीकांत पाठक ने अपने निजी कोष से 5000 की आर्थिक सहायता और भूमिपाल राय ने खाद्यान्न सामग्री उपलब्ध कराया।
मृतक के पिता के अनुसार रामजी महतो ट्रक ड्राइवर था। ट्रक का मालिक दिल्ली का कोई राणा बताया जा रहा है। वे लाँकडाऊन के कारण ट्रक सहित बनारस में फँस गया था। मरने से 7 दिन पूर्व वह बेगूसराय के गढ़पुरा पंचायत के कुम्हारसा गांव में अपनी बहन को फोन किया था। रामजी महतो ट्रक को छोड़कर बनारस से पैदल ही बेगूसराय के तरफ चल दिया। कुछ दूर चलते ही वह गिर गया। राहगीर जब एंबुलेंस वालों को बुलाया तब वे कोरोना से भयभीत हो कर ले जाने से मना कर दिया। उस समय वह जिंदा था। किसी तरह अस्पताल पहुंचाया गया तब तक बहुत देर हो चुकी थी। वह मौत के आगोश में जा चुका था।
पुलिस ने मृतक के पिता को फोन किया। उसके बाद स्थितिवस बिना पिता के ही मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया गया। धर्म के अनुसार गांव में पिता गले में उतरी टांग क्रिया कर्म में लग गया है।
एमएलसी प्रत्याशी रजनी कांत पाठक ने कहा एक कैसी चुक है जो अंतिम संस्कार के लिए मृतक के बॉडी को भी उसके घरवालों को नहीं भेज सका। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि स्थानीय सरकार से यह चुक कैसे हो गई। इस पर तो सिर्फ यही कहा जा सकता है “बनारस वालों रामजी महतो की मौत पर रूह तो काँपा होगा ना”