मदरलैंड संवाददाता, गोपालगंज

लॉक डाउन के कारण शव नहीं आने पर परिजनों ने पुतले का किया दाह संस्कार
 गोपालगंज  लॉकडाउन का दंश झेल रहे ट्रक चालक  की गाजियाबाद में मौत का मामला प्रकाश में आया है।ट्रक चालक युवक के हृदय विदारक मौत की सूचना जैसे ही गाँव पहुँची परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया, वहीं पंचदेवरी प्रखंड स्थित लोहटी गाँव में अपने ससुराल में रह रही युवक की बहन की भी मौत इस खबर को सुनने के बाद हार्ट अटैक से मौत हो गईगई। विदित हो कि स्थानीय थाना क्षेत्र के भोपतपुर गाँव निवासी शिवनाथ राम के 35 वर्षीय इकलौते पुत्र अशोक राम की मौत गाजियाबाद में हो गई।जिसकी खबर सुन लोहटी गाँव स्थित अपने ससुराल में रह रही युवक के बहन की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई। बताया जा रहा है कि अशोक राम पिछले कुछ वर्षों से गाजियाबाद में ट्रक चालक का कार्य करता था।वह पिछली बार गाँव आने के बाद चार माह पूर्व ही गाजियाबाद गया था।लॉक डाउन होने के कारण वह वहीं फसा रह गया।ट्रक नहीं चलने के कारण कुछ दिन बाद ही ट्रक मालिक ने भी उसे काम से निकाल दिया।लॉक डाउन के शुरुआती दिनों में तो वह किसी प्रकार काम चलाता रहा परंतु वह इस स्थिति को ज्यादा दिन तक नहीं झेल सका और बीमार रहने लगा।पैसे के अभाव के कारण वह उचित चिकित्सा भी नहीं प्राप्त कर सका।गंभीर रूप से बीमार व भूख से बेहाल हालत में 26 अप्रैल को सीमापुरी बॉर्डर इलाके से उत्तर प्रदेश पुलिस ने उसे उपचार हेतु स्थानीय अस्पताल में भर्ती करवाया, जहाँ उपचार के दौरान उसने दम तोड़ दिया।जिसकी खबर उत्तर प्रदेश पुलिस ने कटेया थाने को दिया। मौत की खबर गाँव पहुँचते ही परिजनों में कोहराम मच गया।इधर, भाई की मौत की खबर मिलते ही लोहटी गाँव स्थित ससुराल में रह रही उसकी बहन सुशीला देवी बेसुध हो गई और बहन की भी दो दिन पश्चात हार्ट अटैक से मौत हो गई।परिजनों ने युवक की मौत के लिए उत्तर प्रदेश व दिल्ली की सरकारों को जिम्मेदार ठहराया है।बकौल परिजन, अशोक लॉक डाउन के बाद काफी दिनों तक बीमार अवस्था में सीमापुरी सीमाई इलाके में भटकता रहा, परन्तु न तो स्थानीय प्रशासन ने और ना ही मानवता के नाते स्थानीय नागरिकों ने ही उसकी मदद की।नतीजन भूख से बेहाल बीमार युवक सड़क पर गिरे टमाटर उठा कर खाता रहा।परंतु वह इस स्थिति को ज्यादा दिन तक नहीं सह सका और उसकी मौत हो गई।परिजनों ने बताया कि मृत्यु से दो दिन पूर्व अशोक ने किसी के फोन से वीडियो कॉल किया था, परंतु वह कुछ बोल नहीं पा रहा था।इधर लॉक डाउन होने के कारण परिजन भी उसकी मदद के लिए नहीं जा पाए। लॉक डाउन के कारण मौत के बाद युवक का शव परिजनों को नहीं मिल सका।नतीजन परिजनों पुतला बना दाह संस्कार किया। युवक के मौत की खबर के बाद क्षेत्र में इस घटना की चर्चा आम हो गई है।क्षेत्रवासी इस घटना को मानवता के लिए कलंक मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर समय रहते किसी ने भी आदमियत दिखाई होती तो आज अशोक जीवित होता। अशोक के परिवार में उसके वृद्ध पिता, माँ, पत्नी व तीन छोटे-छोटे बच्चें हैं।जिनका रो-रो कर बुरा हाल है।

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