मदरलैंड संवाददाता, पटना
देशव्यापी विरोध के बाद अंततः सरकार प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने पर सहमत हुई है। पहले सरकार मजदूरों से किराया बसूल कर रही थी। फिर भारी विरोध के चलते सरकार ने पुनः भाड़ा देने की घोषणा की है। सरकार कितना अमल करती है इस पर संदेह है। विडंबना यह है कि पीएम केयर फंड में करोड़ों अरबों रुपए जमा हैं। और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे मजदूरों पर खर्च करना नहीं चाहते इसके बजाय केंद्र सरकार सेना के विमान से अस्पताल आदि जगहों पर फूल बरसाने जैसे शो बाजी के कार्यक्रम में देश के धन का दुरुपयोग कर रही है। यह घोर निंदनीय रवैया है।
यह बातें सीपीएम के राज्य सचिव अवधेश कुमार ने कही।
उन्होंने कहा केंद्र और राज्य सरकार के बीच जिम्मेदारी को लेकर फेका फेकी का खेल खेला जा रहा है और पूरा बोझ भुखमरी बेरोजगारी की मार झेल रहे मजदूरों पर ही डाला जा रहा है। कोरोना लॉक डॉउन के दरमियान घर लौटने के दौरान रास्ते में भूख, आत्महत्या, दुर्घटना, भीड़, हिंसा आदि में अनेक लोगों को जान गंवानी पड़ी है। ऐसे तमाम मृतक मजदूरों के परिवारों को पीएम केयर फंड से 20 लाख के मुआवजे की मांग करनी चाहिए। यह मौत नहीं हत्या है जिसके लिए सरकार जिम्मेवार है।
माकपा के राज्य सचिव ने पीएम फंड से सभी मजदूरों को घर पहुंचाने, पीएम फंड से सभी मजदूरों को ₹10000 गुजारा भत्ता और काम की गारंटी देने, सभी मारे गए मजदूरों को पीएम केयर फंड से 20 लाख मुआवजा और बिना कार्ड वालों सहित सभी मजदूरों को 3 महीने का राशन देने की मांग की है।
उन्होंने कहा सभी बामपंथी कार्यकर्ता 5 मई को अपने-अपने घरों, कार्यालयों में धरना के रूप में विरोध का कार्यक्रम करेंगे। अपनी सहूलियत के अनुसार अन्य रूप में विभक्त किया जा सकता है। लेकिन एक जगह जमा होने से परहेज करना चाहिए और शारीरिक दूरी जरूर बनाए रखना चाहिए।