मदरलैंड संवाददाता,

वर्ष 2009  से चल रही काला घन को सफेद करने का धंधा नोटबंदी के बाद  2016 में इसका खुलासा होना प्रारंभ हुआ था.
नोटबंदी के समय गया में बड़ी संख्या में दूसरे के बैंक खाता खासकर जन-धन खातों का उपयोग करके ब्लैक मनी को व्हाइट किया गया था.
सूत्रों के अनुसार ईडी की गहन जांच उपरांत यह बातें उजागर हुई है. इसमें हवाला का संबंध भी जुड़े होने की बात उभर कर सामने आई है.
गया के बैंक ऑफ इंडिया मुख्य शाखा सहित कई बैंकों में मौजूद बेनामी खातों में दूसरे शहरों से पैसे डलवा कर ब्लैक मनी को व्हाइट करने का खुलासा हुआ है.
इन बैंक खातों में मोटी रकम डालकर कुछ दिनों बाद थोड़ा-थोड़ा कर पैसा निकाल कर खाता बंद कर दिया जाता था.
सूत्रों से मिली जानकारी में ऐसे 150 से अधिक बैंक खाते सामने आ चुके हैं.
इन खातों में 50 करोड़ से अधिक का लेन देन यह बात सामने आई है.
गया में ब्लैक मनी को व्हाइट करने वालों में पटवाटोली मानपुर के एमटीआई कॉटन मिल्स प्राइवेट लिमिटेड के सर्वेसर्वा मोती लाल पटवा के गिरफ्तारी के बाद पूरे रैकेट की परत खुलती गई.
इसमें बैंक ऑफ इंडिया के कई अधिकारी समेत अभियुक्तों में पवन जैन और धीरज जैन शामिल हैं.
अभियुक्तों द्वारा अपने कर्मचारियों व नौकरों के नाम पर भी कई बेनामी खाते खुलवा कर बड़े स्तर पर ब्लैक मनी को व्हाइट करने का खेल खेला गया है.
जांच में घपलेबाजी का दायरा बढ़ सकता है.
अनुसंधान जारी है, एडी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब इस मामले में मोती लाल पटवा, धीरज जैन और विमल जैन से जुड़े लिंक की जांच चल रही है इसके अलावा अन्य पहलुओं पर भी जांच जारी है।

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