मदरलैंड संवाददाता,

मुंगेर जिले के जमालपुर स्थित इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को लखनऊ स्थानांतरित किए जाने से बिहार में विरोध के स्वर मुखर होने लगे हैं। जदयू नेता और बिहार सरकार के जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय झा ने ट्वीट कर इस फैसले का पुरजोर विरोध किया है। संजय झा ने कहा कि जमालपुर स्थित 93 साल पुराना रेल कारखाना बिहार और रेलवे के गौरवपूर्ण इतिहास का अभिन्न हिस्सा रहा है। 1927 से ही यह रेलवे के शीर्षस्थ अधिकारियों को प्रशिक्षित करता रहा है। इसे बिहार से ले जाने के आदेश पर नीतीश कुमार ने रेल मंत्रालय से पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। नीतीश कुमार के 1 मई के लिखे पत्र के आलोक में रेल मंत्री से तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध है।
 वहीं राजद के प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार लॉक डाउन के दौरान चुपके चुपके बिहार के साथ नाइंसाफी की है। जमालपुर के रेल कारखाना को स्थानांतरित करके लखनऊ शिफ्ट किया जा रहा है। यह बिहार के साथ बहुत बड़ा अन्याय है। राजद इस अन्याय को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि बिहार की डबल इंजन की सरकार कटघरे में है। अगर इस पत्र को रेल मंत्रालय रद्द नहीं किया तो राजद ईट से ईट बजा देगा।
 वही बिहार सरकार के आपदा प्रबंधन विभाग के मंत्री लक्ष्मेश्वर राय ने कहा कि भारत का पहला और एशिया का सबसे विशालतम रेल इंजन कारखाना को स्थानांतरित करने का फैसला न्यायोचित नहीं है। इससे 11 करोड़ बिहारियों और बड़े बड़े अधिकारियों का भावनात्मक लगाव जुड़ा हुआ है। अगर इस तरह से रेल कारखाना को यहां से हटाया गया तो बहुत से कर्मचारी बेरोजगार हो जाएंगे। बेरोजगारी की समस्याएं भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि अभी हम लोगों को रोजगार सृजन के क्षेत्र में आगे बढ़ना है। उन्होंने तत्काल  रेल मंत्री पियूष गोयल से कहा है कि इस फैसले पर पुनर्विचार करें। जिससे बिहार और बिहारियों के मान सम्मान को ठेस नहीं पहुंचे।

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