मदरलैंड संवाददाता,

इशुआपुर- कोरोना वायरस को लेकर पूरे भारत में लॉकडाउन लगा हुआ है। सरकार के आदेशानुसार बच्चों व गभर्वती महिलाओं को उनके घर-घर जाकर पौष्टिक आहार का वितरण करना है लेकिन सरकार के इस प्रयास को आंगनबाड़ी कार्यकर्तायों द्वारा दम घोट दिया गया है। कोरोना वायरस महामारी के कारण आंगनबाड़ी केंद्र पर बच्चे व गभर्वती महिलाएं एकत्रित ना हो इसके लिए महिला एवं बालविकास  विभाग की ओर से लॉकडाउन के दौरान गभर्वती महिलाओं व बच्चों को घर में ही पौष्टिक आहार बाटना है। इसके लिए विभाग ने 30 अप्रैल तक सूखा पौष्टिक आहार घर-घर जाकर आवंटन करना है।
जिले में करीब 1890 आंगनबाड़ी केंद्र है जहां हज़ारों बच्चों के साथ गभर्वती महिलाओं को पौष्टिक आहार दिया जाता था। लेकिन लॉकडाउन के दौरान अब महिलाओं व बच्चों को पोषण आहार नही मिल रहा है। अब जिले में सभी बच्चों व गभर्वती महिलाओं को आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घर-घर जाकर पौष्टिक आहार बाटना है लेकिन जिले के ज्यादातर आंगनबाड़ी केंद्रों में यह नजर नहीं आ रहा है।
दूसरे आंगनबाड़ी केंद्रों की तरह ही इसुआपुर प्रखंड के कुछ आंगनबाड़ी केंद्रों की हाल है यहां भी कुछ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा बच्चों व गभर्वती महिलाओं को पौष्टिक आहारों का वितरण कही किया जा रहा है और कही पर नहीं किया जा रहा है।
यह सुविधा छह साल तक के बच्चों व गभर्वती महिलाओं को मिलना है। सरकार द्वारा यह आदेश दिया गया था कि 15 अप्रैल तक बच्चों व गभर्वती महिलाओं के घर-घर जाकर पौष्टिक आहार का वितरण करना है लेकिन बाद में विभाग के डायरेक्टर ने यह आदेश बढ़ाकर 30 अप्रैल तक कर दिया। दूध पिलाने वाली महिलाएं व 0 से 6 साल तक के बच्चों को उनके घरों में ही राशन की सुविधा मिलनी है। लेकिन पता नहीं चल पाता है कि सरकार की ए सारी सुविधाएं आम जनों तक पहुंच नहीं पाता तो इसका होता क्या है।

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