मदरलैंड संवाददाता,
बिहार प्रांत के पश्चिमी चंपारण जिले के बगहा एक प्रखंड के पंचायत राज सिंगाड़ी पिपरिया के सिंगाड़ी गांव के निवासी नरेंद्र कुमार गिरी अपने पत्नी के साथ-साथ 2 बच्ची तथा एक बच्चा के साथ नेपाल के नारायण घाट भरतपुर 1 प्रगति पथ चितवन में किराए के मकान में कई वर्ष पूर्व से रहते आ रहे हैं। इसके दौरान नरेंद्र कुमार गिरि ने मोबाइल फोन से फोन कर अपने दुख दर्द को बताया कि रोजी रोटी कमाने के चक्कर में बिहार के चंपारण जिले से अपने पूरे परिवार के साथ नेपाल के नारायण घाट में आज बरसों से परिवार सहित गुजर-बसर करते आ रहे हैं। वैश्विक महामारी को लेकर नेपाल में घर से बाहर निकलने के लिए पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके दौरान खाने पीने को लाले पड़ गए हैं। किसी तरह घर में रखे कुछ पैसे से अभी तक परिवार को जिलाने के लिए खर्च किया जा चुका है। अब दैनिक प्रस्थिति बहुत ही नाजुक बन चली है। “लॉक डाउन” महिनों से अधिक हो गया है।इस हाल में अखबार के माध्यम से भारत सरकार तथा बिहार सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं कि तत्कालिक सहायता से हम गरीब परिवार को भूख से तड़पने से बचाया जा सके। तथा अपने वतन को किसी तरह से वापस लाकर हम गरीब परिवार पर रहम कर विशेष रुप से सहायता किया जाए। इस कड़ी में नरेंद्र कुमार गिरी ने अपना मोबाइल नंबर 9855055136 तथा बैंक अकाउंट नंबर 0 250 050 121 21 42 नेपाल एवरेस्ट बैंक लिमिटेड बताया है। इसके दौरान बगहा विधायक राघव शरण पांडेय ने मदरलैंड बगहा संवाददाता के दूसरा दूरभाष पर इस बाबत बताया कि भारत सरकार तथा बिहार सरकार स्वयं को भी देश तथा विदेशों में फसे भारतीय प्रवासी मजदूरों को उनके वतन उनके घर सकुशल वापसी लाने के लिए सरकार प्रतिब्द्ध है। साथ ही नेपाल के नारायण घाट में फसे प्रवासी मजदूर नरेंद्र कुमार गिरि के परिवार को भूख से बचाने के लिए हर संभव मदद किया जाएगा। साथ ही विधायक ने कहा कि इस तरह की प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर समाज के सभी वर्गों के लोगों को आगे निकल कर सहायता करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जबकि भारत नेपाल की सीमा को दोनों देशों ने मैत्रीपूर्ण एवं विश्वास के साथ वैश्विक महामारी को लेकर सीमा को बंद कर दिया गया है। इसके लिए नेपाल में भारतीय उच्चायोग से संपर्क कर फसे प्रवासी भारतीयों मजदूरों को हर हाल में सहायता देकर उनको संतुष्ट किया जाएगा। इसपर तत्कालिक विचार विमर्श कर समाधान किया जाएगा । बतादें कि वैश्विक संक्रमण बीमारी को देखते हुए पूरे विश्व में महामारी फैलने से लाखों लोगों ने अपनी जान गवाई तथा लाखों लोग इस अछूत बीमारी से संक्रमित हैं। इसके दौरान विश्व के बड़े बड़े नामी गिरामी देशों ने इस संक्रमण बीमारी से घुटने टेक दिए हैं । इस तरह से भारत से बाहर के देशों में अपनी रोजी-रोटी की तलाश में गए हजारों प्रवासी मजदूर अपने वतन को वापसी चाहते हैं। वही यूपी बिहार से काफी संख्या में मजदूर वर्ग के लोग अपनी रोजी रोटी के लिए नेपाल में प्रवेश कर जाते हैं तथा मजदूरी कर महीने 2 महीने में कुछ पैसे कमा कर उनकी वतन वापसी हो जाती थी। परंतु इस वैश्विक महामारी के चलते “लॉक डाउन” में नेपाल में फंसे प्रवासी मजदूर गंडक नदी के रास्ते तथा जंगलों के रास्ते से होकर बड़ी मुश्किल से हजारों प्रवासी मजदूर पैदल रास्ता तय कर अपने गांव को पहुंचे तथा गांव गिराव के स्कूलों में बने क्वॉरेंटाइन सेंटरों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा कर नियम का पालन कर रहे हैं।