मदरलैंड सम्वादाता, सीवान
- बेदर्द साहब से खौफ खा रहे लोग
- जिले के आला अधिकारियों से उपर समझते हैं अपने आपको
बड़हरिया( सीवान) ।कोरोना वैश्विक महामारी के बीच जहां पुलिस रात दिन कड़ी ड्यूटी बजाते हुए जनमानस की सेवा कर रही है।संवेदनशील हालातों में सब कुछ बर्दाश्त करते हुए खतरनाक वायरस से लगातार लड़ रही है ताकि इलाके में रहने वाले लोग किसी भी प्रकार से संकट का हिस्सा ना बने तो वहीं इन्हीं वर्दी धारियों में शामिल एक वर्दी वाले साहब ड्यूटी के दौरान अपने खास किरदार और व्यवहार को लेकर खूब चर्चित हो रहे हैं। आलम यह है कि इनकी चर्चा बेदर्द साहब के तौर पर हो रही है। आप सोच रहे होंगे कि साहब की चर्चा और वह भी बेदर्द तर्ज पर, तो इसकी वजह बताते हुए स्पष्ट करना है कि कभी ना कभी, कहीं ना कहीं आप सभी का सामना किसी न किसी वर्दी वाले साहब से जरूर हुआ होगा। ऐसा भी हो सकता है की किसी गलती को लेकर साहब ने आप को फटकार भी लगाई हो, इतना ही नहीं विशेष स्थिति में आप दंड के भागी भी हुए होंगे। परंतु ऐसा भी जरूर हुआ होगा कि कहीं-कहीं इन्हीं साहबों में शुमार कुछ खाकी धारियों ने आपको माफ भी कर दिया होगा। कहने का तात्पर्य है कि हर किस्म के पुलिसकर्मी विभाग में सेवारत हैं।अधिकांश पुलिस अधिकारियों और कर्मियों को वर्दी के साथ-साथ नैतिकता का ख्याल भी होता है परंतु फिलहाल जिस साहब की चर्चा हो रही है उनका सिस्टम सभी से बिल्कुल अलग और सख्त है। इनके किरदारों की महत्वता ऐसी है कि यदि आप गलती से भी इनके पाले पड़े तो साहब स्वयं गलतियों की सजा देते देते गलतियों की चादर में लिपट जाते हैं। हालांकि इनका सख्त होना जरूरी है परंतु चिंतनीय यह है कि इनके द्वारा सभी के साथ चोर पुलिस वाला मापदंड अपनाया जाता है।अर्थात उपरोक्त साहब को वर्दी धारण करने के बाद सामने खड़ा शख्स केवल, चोर, बदमाश, लफंगा, उचक्का, पेशेवर, लापरवाह, असामाजिक तत्व ही दिखाई पड़ता है। लिहाजा कई बार सज्जन, बुद्धिजीवी, प्रतिष्ठित, जिम्मेदार लोगों को इनके चक्कर में पड़ प्रतिष्ठा गंवानी पड़ी है।सवाल है कि आखिर इनके द्वारा लोगों के साथ इस प्रकार का व्यवहार क्यों किया जाता है। सवाल यह भी है कि आखिर वर्दी धारण करने के बाद उपरोक्त साहब मानवता और नैतिकता की सीमाएं क्यों लांघ जाते हैं। मामला गंभीर है वर्दी की गरिमा और महत्वता को ध्यान में रखते हुए बात करें तो इस प्रकार का व्यवहार कदापि ठीक नहीं है।क्षेत्र में स्थिति यह है कि साहब की पहचान बताने तक की जरूरत नहीं है इनके नामों की चर्चा जोरों पर है। वहीं लोगों में खौफ का माहौल है। हालांकि बड़हरिया थाने की कमान संभाले बैठे थानाध्यक्ष मनोज कुमार भी चर्चित साहब के व्यवहार और किरदार से भलीभांति अवगत है।यदि समय रहते चर्चित साहब को ड्यूटी के दौरान मानवता और नैतिकता का ख्याल रखते हुए काम करने की सलाह नहीं दी गई तो इनकी कार्यप्रणाली इस महामारी के दौर में वर्दी की छवि धूमिल करने से नहीं चुकेगी।