मदरलैंड सम्वादाता, गोपालगंज

गोपालगंज। चर्चित रोहित जायसवाल हत्याकांड लगातार सुर्खियों में बना हुआ है।मामले की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता कि मामले में भ्रामक तथ्यों के खंडन के लिए खुद पुलिस के वरीय अधिकारियों को सामने आना पड़ा।राज्य के पुलिस महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने एक निजी समाचार चैनल से बात करते हुए यह दावा किया कि यह हत्याकांड नहीं है अपितु डूबने से हुई मौत का मामला है।राज्य के पुलिस महानिदेशक ने इस मामले में कुछ समाचार पोर्टलों द्वारा की जा रही भ्रामक रिपोर्टिंग पर भी सवाल खड़े किए।विदित हो कि जब से इस मामले को सोशल मीडिया में वायरल किया गया है,मामला जोर पकड़ता दिख रहा है।हालांकि इस मामले में जिस प्रकार की खबरें सोशल मीडिया में लगातार वायरल हो रहीं है।उससे क्षेत्र का सम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा लगातार बना हुआ है।सूत्रों की माने तो मामले को लाइम लाइट में बनाए रखने के लिए जानबूझकर सम्प्रदायिक रंग देने का प्रयास किया जा है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डूबने से मौत की पुष्टि
एक तरफ जहाँ कुछ लोग मामले को धर्म विशेष के प्रार्थना स्थल से जोड़ कर सम्प्रदायिकरण रंग देने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में डूबने से मौत की पुष्टि हुई है।अभी तक जिस मामले को हत्याकांड माना जा रहा था,वह हत्या न हो कर पानी में डूबने से हुई मौत का मामला है। विदित हो कि पीड़ित पक्ष ने मामले में हत्या के बाद नदी में शव फेंकने का आरोप लगाया है।
सीआईडी करेगी मामले की जाँच
जब से रोहित हत्याकांड सुर्खियों में आया है, मामले में कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं व संगठनों ने सरकार को लगातार कठघरे में खड़ा करना शुरू कर दिया है।जिसके बाद गृह विभाग एडीजी मुख्यालय ने मामले में निष्पक्ष जांच हेतु सीआईडी टीम का गठन किया है,जो मौका-ए-वारदात पर पहुँच मामले की हर एंगल से जाँच कर रही है।
फेक न्यूज़ फैलाने का आरोप में प्राथमिकी दर्ज
सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर रहे चर्चित रोहित हत्याकांड में फेक न्यूज़ फैलाने का मामला सामने आ रहा है।इस मामले में कटेया थानाध्यक्ष ने भ्रामक तथा तथ्यहीन खबर प्रकाशित करने को लेकर बिभिन्न पोर्टल’ पर प्राथमिकी दर्ज की है। अपने आवेदन में कटेया थानाध्यक्ष अश्विनी कुमार तिवारी ने आरोप लगाया कि कटेया थाना कांड संख्या 98/20 में बेलही डीह निवासी राजेश शाह के आवेदन के आधार पर भा•द•वि• की धारा 302/301/34 के तहत मुकदमा दर्ज है, जो अभी भी अनुसंधान्तर्गत है। जबकि इस कांड को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की भ्रामक तथा तथ्यहीन बातें लिखी और कही जा रही है। इसी क्रम में पोर्टल न्यूज़ द्वारा 9/5/2020 को इस कांड के बारे में बिना कुछ जाने समझे इस तरह का समाचार प्रकाशित किया गया कि जो बिल्कुल तथ्यहीन व भ्रामक है। वहीं दूसरी ऑनलाइन पोर्टल न्यूज़ द्वारा उक्त कांड में जिस प्रकार की खबरें प्रसारित की गई हैं।उससे क्षेत्र का सम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने का खतरा है। इस खबर में पूर्व पुलिस अधीक्षक राशिद जमा का बयान भी लगाया गया है जिनका स्थानांतरण  छः माह पहले ही जिले से बाहर हो गया है।वही थानाध्यक्ष ने यह भी कहा है कि इस तरह की सोशल मीडिया पोस्ट के माध्यम से दो समुदायों के बीच वैमनस्य को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। इस प्रकार की भ्रामक व तथ्यहीन खबरें प्रकाशित होने से साम्प्रदायिक सद्भाव बगड़ने की संभावना हैं। इन दोनों ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल  द्वारा बिना तथ्य को जाने समझे  भ्रामक समाचार प्रकाशित कर लोगों को भड़काने का काम किया जा रहा हैं। इस आवेदन के आधार पर दोनों ऑनलाइन न्यूज़ पोर्टल के सम्पादकों पर आई टी एक्ट के विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी हैं।

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