मदरलैंड संवाददाता, बिस्फी मधुबनी

बिहार से बाहर के राज्यों से कोरोना संक्रमण से परेशान प्रवासी मजदूरों को सरकार के द्वारा तो घर पहुँचा दी गई।लेकिन इन प्रवासियो को कोई देखने वाला नही। मधुबनी जिले के बिस्फी प्रखंड क्षेत्र के सिबौल उच्च विधालय मे बने एक पंचायत स्तरीय क्वारेंटाइन केन्द्र मे एक प्रवासी मजदूर दर्द से तरपता रहा,कोई भी सरकारी मुलाजिम या स्थानीय प्रतिनिधि दर्द समझने वाला नहीं दिखाई दिया।प्रवासी के इलाज हेतु कोई भी चिकित्सक नही पहुँचा। अपना जिंदगी भगवान भरोसे काटता रहा। कोरेंन्टीन केन्द्र मे ठहरे प्रवासियो ने बताया यहाँ किसी भी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नही करायी जा रही है। विधालय के अर्द्ध निर्मित फर्स के ईट पर ही सोने को विवश है। यहाँ यह सवाल है कि इन प्रवासियो को सरकार ने तो वापस घर लाया । लेकिन इनको इस वक्त ना ही रहने सोने एवं खाने पीने के लिये स्थानीय प्रशासन के द्वारा व्यवस्था क्यों नहीं की जा रही है।ना ही कोई स्थानीय प्रतिनिधि इस पर अमल कर रहे हैं। खाना भी तरीके का नहीं खिलाया जा रहा है। खंगरैठा उच्च विद्यालय एवं भोज पंडोल पंचायत के  कमला बाड़ी विद्यालय में बनाई गई क्वॉरेंटाइन कि भी वही हाल देखी जा रही है वहीं पंचायत के मुखिया के द्वारा भी सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है, प्रवासी मजदूरों द्वारा मुखिया को कहे जाने पर पंचायतो के मुखिया द्वारा डांट फटकार कर दी जाती है कि मामला प्रकाश में लगातार आ रही हैं। एवं बाहर से आ रहें प्रवासी असुविधा होने के कारण इधर उधर भटक रहने की मामला लगातार प्रकाश में आ रही हैं। प्रवासी अपने घर से विस्तर मंगवाकर भगवान भरोसा अपना कोरोना अवधि काट रहे हैं।

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