मदरलैंड संवाददाता,

अररिया -मक्का की खेती करने वाले किसानों को इस बार काफी घाटा का सामना करना पड़ रहा है। किसानों का कहना है की लॉकडाउन के कारण अपने मक्के की फसल को महानगरों तक भेजने में असमर्थ हैं। यहां के अधिकांश लोग कृषि पर ही निर्भर हैं। छोटे और मध्यम वर्ग के किसानों ने कर्ज लेकर मेहनत से मक्के की खेती की थी। लेकिन इस बार लॉकडाउन ने किसानों के मंसूबे पर पानी फेर दिया है। किसान अपने उत्पादकों को महानगरों तक नहीं भेज पा रहे हैं।किसानों को औने-पौने भाव में ही बिचोलियों के हाथों फसल को बेचना पड़ रहा है। इसके कारण किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना था कि पिछले साल मक्का की फसल से काफी लाभ हुआ था लेकिन इस बार मक्का फसल उचित मूल्य पर नहीं बिकने के कारण उनके चेहरे पर मायूसी है।खरीफ फसलों की तरह ही मक्का की फसलों को भी पैक्स के माध्यम से खरीदा जाए ताकि किसानों को उचित मूल्य मिल सके।

वही जिले के डुमर्बन्ना पंचायत के किसानों की माने तो इस बार मक्का का रेट घटने के कारण किसानों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। सोचा था कि इस बार अगर मक्का का भाव अच्छा रहा तो गृह निर्माण कार्य आसानी से कर लेंगे साथ कर्जदारों की रकम भी उसे लौटा पाएंगे। लेकिन इस बार मक्के का भाव नहीं रहने के कारण गृह निर्माण कार्य भी अधूरा रह जाएगा। सरकार मक्का की अनुदानित मूल्य निर्धारित कर दो हजार प्रति क्विंटल के हिसाब से पैक्स के माध्यम से खरीदारी कराए तभी किसानों की जान बच सकती है,अगर सरकार मक्का की अनुदानित मूल्य निर्धारित नहीं करती है तो किसान आत्मदाह करने की नोबत आ जायेगी

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