लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के बीच प्रवासी श्रमिकों व कामगारों को एक हजार बसों से घर भेजने को लेकर कांग्रेस और यूपी सरकार में सियासत नए पड़ाव पर है। अब राजस्थान के कोटा में फंसे प्रतियोगी बच्चों को यूपी बॉर्डर तक पहुंचाने वाली बसों से जुड़े भुगतान को लेकर योगी सरकार और राजस्थान सरकार आमने-सामने आ गई हैं। आरोप प्रत्यारोप के दौर शुरू हो गए हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को लखनऊ में पत्रकार वार्ता कर यूपी के डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा और परिवहन मंत्री अशोक कटारिया ने जवाबी हमला किया।
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने कांग्रेस की महासचिव प्रियंका वाड्रा और राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर पलटवार करते हुए कहा कि है कि कोटा में फंसे बच्चों को यूपी बॉर्डर तक छोड़ने का किराया 36 लाख रुपये वसूल रहे हैं और दूसरी तरफ संवेदना दिखाते हैं कि हमने बच्चों को यूपी बॉर्डर तक भेजा है। ऐसी दोहरी मानसिकता कांग्रेस को शोभा नहीं देती है।राजस्थान सरकार के डिप्टी सीएम सचिन पायलट के सवालों का जवाब देते हुए शुक्रवार को डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि कोटा से बच्चों को वापस लाने के लिए राजस्थान सरकार ने बसों के लिए डीजल उपलब्ध करवाया था, जिसके एवज में उन्हें 5 मई को ही 19 लाख रुपये का भुगतान करवा दिया गया था।
अपने बयान में आगे डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि कोटा में फंसे प्रतियोगी बच्चों को यूपी वापस मंगाने के लिए हमने 560 बसें भेजी थी। हमारा अनुमान था कि वहां 10 से 12 हजार बच्चे होंगे, लेकिन वहां अनुमान से अधिक बच्चे थे, जिसके चलते राजस्थान सरकार से बसें ली गईं, जिसका डीजल का भुगतान तत्काल किया गया। राजस्थान सरकार ने 94 बसों के किराया के लिए रिमांडर भेजा। कोरोना की लड़ाई में कांग्रेस राजनीति कर रही है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार किया जा रहा है। वहां की चिंता न करके, जहां 27000 बसें लगी हैं, वहां की चिंता कर रहे हैं। डिप्टी सीएम ने कहा कि हम श्रमिकों को रोजगार देंगे, उन्हें याची नहीं बनने देंगे।