दुनिया के कई देशों को कोरोना वायरस ने अपनी चपेट में ले लिया है। हर देश वायरस की दवा तलाश करने में लगा हुआ है। लेकिन काफी प्रयासों के बाद भी वायरस की कोई प्रभावी दवा अभी तक नहीं मिल पाई है। वही भारत ने इसमें जो अग्रणी भूमिका निभाई है उसकी हर किसी ने तारीफ की है। यही वजह है कि भारत की ताकत और साख वैश्विक मंच पर इस महामारी के दौरान बढ़ी है। अब इस ताकत में और इजाफा होने की उम्‍मीद की जा रही है। दरअसल, अमेरिका ने भारत समेत अन्‍य तीन देशों को जी-7 देशों के समूह में शामिल करने की जो मंशा प्रकट की है उसके मायने काफी व्‍यापक हैं। अमेरिका ने इसके लिए कहीं न कहीं रोडमैप तैयार कर लिया है। यही वजह है कि अमेरिका ने आर्थिक मंदी से उबरने के बारे में विचार के लिए प्रस्तावित जी-7 की बैठक सितंबर तक टालने का फैसला किया है। इसमें कोई शक नहीं है कि जी-7 देशों के समूह में शामिल होने से भारत की ताकत और साख दोनों की बढ़ जाएगी।

आपकी जानकारी के लिए बता दे कि राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की तरफ से जाहिर की गई ये मंशा भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते संबंधों के अलावा एशिया समेत पूरी दुनिया में भारत की बढ़ती ताकत पर एक तरह से मुहर लगा रही है। इसके अलावा ये भारत की वैश्विक मंच पर कूटनीतिक जीत भी है। ट्रंप का कहना है कि वे नहीं मानते हैं कि जी-7 के तौर पर यह दुनिया में जो चल रहा है, उसका उचित प्रतिनिधित्व करता है। अब यह जी-10, जी-11 हो सकता है और अमेरिका में चुनाव बाद इसका विस्तार हो सकता है। ट्रंप का कहना हैकि वह इन चार देशों के नेताओं से पहले ही इस बारे में पहले ही पर बात कर चुके हैं।

इसके अलावा जी-7 में अमेरिका ने जिन देशों को शामिल करने की अपील की है उसमें भारत के अलावा दक्षिण कोरिया, रूस और आस्‍ट्रेलिया शामिल हैं। आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि रूस पूर्ववर्ती ओबामा प्रशासन के दौरान जी-8 समूह का हिस्सा था लेकिन रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा किए जाने के बाद 2014 में उसे इस समूह से बाहर कर दिया गया था। आपको बता दें कि अमेरिका, भारत और आस्‍ट्रलिया क्‍वाड के सदस्‍य है। ये इस लिहाज से भी बेहद खास है क्‍योंकि वर्तमान में दुनिया के कई देश चीन की घेराबंदी का सीधा संकेत दे चुके हैं। जहां तक जी-7 को बढ़ाकर जी-11 करने की बात है तो इससे भारत की कूटनीतिक अहमियत और बढ़ जाएगी। आपको बता दें कि वर्तमान में अमेरिका के अलावा इटली, जर्मनी, जापान, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस इस समूह के सदस्‍य हैं।

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