दीप्ति शर्मा
हरे भरे वृक्ष हो या फूलों के पौधे यह संपूर्ण जीव जगत के लिए प्राण दायक एवं वरदान स्वरुप होते हैं | इनके संरक्षण से ही सभी जीव-जंतुओं विशेषकर मनुष्य को लाभ मिलेगा | स्वच्छ पर्यावरण के बीच स्वस्थ समाज की कल्पना को साकार किया जा सकता है| वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए प्रदूषण के बढ़ते हुए स्तर को समझते हुए उसके दुष्प्रभावों की अनुभूति करते हुए पर्यावरण संरक्षण से अच्छा और कोई विकल्प हो ही नहीं सकता | पर्यावरण संरक्षण द्वारा हम पेड़ पौधों को संरक्षित नहीं कर रहे, अपितु मानव जीवन को समस्त जीव-जंतुओं के जीवन को संरक्षित कर सकते हैं क्योंकि पर्यावरण को मनुष्य से ज्यादा किसी और ने हानि नहीं पहुंचाई मनुष्य से अधिक किसी और ने उसका दोहन नहीं किया और अब मनुष्य को अपने इन कुकृत्यों का ज्ञान हो गया है कि कैसे आधुनिकता ,व्यावसायिकता की अंधी दौड़ में उसने वह खो दिया है | जो उसको पाना था और वह पाया, जिसके होने या ना होने से कोई बहुत फर्क नहीं पड़ता | पर्यावरण संरक्षण एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा हम मानव जाति की ओर से की गई सबसे बड़ी गलती का सुधार कर सकते हैं परंतु मनुष्य एक परिधि में बंधा हुआ है | उसका एक सीमित दायरा है उसका कार्यक्षेत्र तथा उसका निवास वह इसी परिधि में घूमता रहता है तो क्या इस परिधि में रहते हुए भी मनुष्य पर्यावरण प्रहरी बनकर पर्यावरण का संरक्षण कर सकता है ? इस प्रश्न का उत्तर है हाँ , मनुष्य इसी परिधि में रहते हुए वातावरण को संरक्षित करने का अपना सफल प्रयासकर सकता है मनुष्य अपने निवास स्थल और कार्यस्थल से ही एक ऐसी क्रांति संचालित कर सकता है | जिसका परिणाम मानव जगत के साथ-साथ सभी जीव जंतुओं के लिए सुखद हो सकता है और इसका सशक्त उदाहरण है हरित घर | सोचिए अगर मनुष्य का घर ही हरियाली से हरा भरा रहेगा तो एक घर ही वातावरण को शुद्ध करने का काफी अच्छा काम कर सकता है | पौधों की देखभाल करके हम स्वयं को भी ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं | पौधों से निकलने वाली सकारात्मक तरंगे हमारे जीवन को ऊर्जा तथा मानसिक शांति से भर देती हैं चारों तरफ देखने वाली हरियाली हृदय एवं हमारे नैनो को सुख प्रदान करती है , नकारात्मक ऊर्जा का ह्वास होता है घर के आस-पास सुंदर तितलियां भंवरों का गुंजार होता है | मनुष्य के अंदर संरक्षक का भाव जागृत होता है| प्रेम तथा वात्सल्य जागृत होता है | प्रकृति की शक्ति का आभास होता है | शहरी आवासों में स्थान कम होने के उपरांत भी हम अपने घर को हरित घर बना सकते हैं| पेड़ों के स्थान पर छोटे-छोटे पौधे लगाकर न सिर्फ हम अपने आवास को सजा सकते हैं अपितु इसके शुभ फल भी पा सकते हैं | कम ऊंचाई वाले पौधे जैसे तुलसी, गेंदा ,चंपा ,चमेली, आंवला ,मोतिया आदि लगाने से घर की वायु शुद्ध रहती है| तुलसी का पौधा लगाने से आसपास का वातावरण कीटाणु रहित हो जाता है| तुलसी का पौधा औसतन दस पेड़ों के बराबर ऑक्सीजन छोड़ता है | इस पौधे के औषधीय एवं आध्यात्मिक दोनों महत्व हैं | आयुर्वेदिक दवाइयों में तथा सर्दी- जुखाम में इसकी पत्तियों का प्रयोग किया जाता है | एलोवेरा के पौधे से प्राप्त जैल के सेवन से मधुमेह के रोगियों को अत्यधिक लाभ मिलता है, वही करी पत्ता या मीठी नीम की पत्तियों के सेवन से कीमो थेरेपी के रोगियों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है | बाजार में मिलने वाली सब्जियों तथा फलों पर कीटनाशकों के हानिकारक प्रयोग तथा यूरिया जैसी रासायनिक खाद की पैदावार होने के कारण इनसे हमारे स्वास्थ्य को लाभ नहीं होता अपितु हानि होती है | एक हरित घर के रूप में हम अपने उपयोग के लिए फल तथा सब्जियों का उत्पादन स्वयं कर सकते हैं ,जो बाजार में मिलने वाले फलों तथा सब्जियों से कई गुना अधिक लाभकारी होंगे | खाद के रूप में हम रसोई घर से निकलने वाले अपविष्ट पदार्थ का प्रयोग करते हुए इनकी उर्वरा शक्ति को बढ़ा सकते हैं | इससे हमें दो लाभ होंगे एक तो रसोई घर से निकलने वाला अपशिष्ट पदार्थ एक प्राकृतिक खाद के रूप में पौधों का संवर्धन करेगा, दूसरा शहर के बाहर लगे कूड़े का अंबार कम हो जाएगा | फूलों और हरी भरी पत्तियों को देखकर हमें जो नयन सुख मिलता है | उसका प्रयोग हम घर की आंतरिक साज-सज्जा के रूप में भी कर सकते हैं | अत्यधिक बहुमूल्य सजावटी सामान खरीदने की जगह यदि हम घर के आंतरिक सौंदर्य को पौधों की सहायता से सुसज्जित करते हैं, तो इससे घर की सज्जा भी बढ़ेगी तथा घर के अंदर का वातावरण अपने आप शांत एवं सकारात्मक ऊर्जा से भर जाएगा एवं घर के अंदर हमें प्राकृतिक वायु शोधक यंत्र मिल जाएगा | घर के अंदर लगने वाले कई पौधे घर के अनावश्यक नमी को सोख लेते हैं, जिससे घर का वातावरण जीवाणु रहित हो जाता है एवं ऐसा कोई भी सजावटी सामान नहीं है जो घर की सुंदरता को बढ़ाने के साथ-साथ आपको स्वास्थ्य लाभ भी देता हो, आप में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता हो और आपके पैसे भी बचाता हो अर्थात हम कह सकते हैं कि हरित हर एक ऐसी कल्पना है, जिसके सार्थक होने पर हमारे परिजनों का स्वास्थ्य, घर का वातावरण, आंतरिक तथा बाह्य सज्जा सभी कुछ एक उत्कृष्ट स्तर तक पहुंच जाएगा | हम हरित घर को अपनाएंगे अथवा नहीं यह निर्णय हमारा ही होगा क्योंकि यह हमारे परिजनों के जीवन का प्रश्न है, जन जागृति का प्रश्न है, समाज देश तथा पृथ्वी के प्रति अपने उत्तरदायित्व का प्रश्न है | स्वयं को माँ प्रकृति के वात्सल्य से आच्छादित कर देने का प्रश्न है| इन सारे प्रश्नों के उत्तर हमारे पास हरित घर के रूप में है | हमें स्वयं निर्णय लेना होगा एक क्या हम इस हरित क्रांति के योद्धा बनकर मां प्रकृति के चरणों में अपना यह वंदन प्रस्तुत करेंगे अपितु नहीं मनुष्य के रूप में अन्य जीवों के जीवन चक्र के बारे में सोचेंगे अथवा नहीं अपनी पृथ्वी ,अपने पर्यावरण को बचाने हेतु अपना योगदान देंगे अथवा नहीं ?