देश की सर्वोच्च अदालत ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान बाल तस्करी की बढ़ती घटनाओं को लेकर दाखिल की गई याचिका पर केंद्र सरकार और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के गैर-सरकारी संगठन ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ की याचिका की सुनवाई करते हुए यह नोटिस भेजा है।
सुनवाई के दौरान NGO के वकील ने दलील दी कि सभी जिला अधिकारियों को हाल ही में बढ़ी इस तरह की वारदातों पर प्रभावी रूप से लगाम लगाने के लिए सक्रिय दृष्टिकोण सुनिश्चित करने की जरुरत है। श्री फूलका ने मामले की गम्भीरता का उल्लेख करते हुए इसकी सुनवाई दो हफ़्तों के भीतर करने का आग्रह न्यायालय से किया, जिसे खंडपीठ ने मान लिया।
CJI ने याचिकाकर्ता को कोई प्रणाली सुझाने के लिए कहा, जिससे बाल तस्करी के ‘बाजार’ पर नियंत्रण किया जा सके और ठेकेदारों को बाल श्रमिकों से मजदूरी कराने से रोका जा सके। कोर्ट ने केंद्र सरकार की तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि सरकार को बाल तस्करी पर रोक के लिए व्यापक कदम उठाने चाहिए। वकील ने दलील दी है कि लॉकडाउन को देखते हुए बड़ी संख्या में बाल मजदूर अपने गृह राज्य लौट आए हैं और इस दृष्टि से यह माहौल बहुत ही अनुकूल है कि इन बाल मजदूरों को फिर से बाहर जाने से रोककर बाल मजदूरी पर बहुत हद तक लगाम लगाई जा सकती है।