मदरलैंड संवाददाता, बेतिया
जल-जीवन-हरियाली अभियान की हुई समीक्षा।
जल संचयन के विभिन्न स्रोतों का ससमय जीर्णोंद्धार कराने का निर्देश।
जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली योजना राज्य सरकार की अत्यंत ही महत्वाकांक्षी योजना है। इस योजना का क्रियान्वयन पूरी ईमानदारी एवं तत्परतापूर्वक करना सुनिश्चित किया जाय। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री सात निश्चय योजनाओं के तहत जिले में विभिन्न योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। ये सभी योजनाएं आम जनता के लिए है। इससे आम जनता को लाभ मिलेगा। साथ ही जिले के विकास में बल भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना का क्रियान्वयन प्राथमिकता के तौर पर किया जाना आवश्यक है। सरकार के विभिन्न विकासात्मक एवं कल्याणकारी योजनाओं के साथ ही जल-जीवन-हरियाली योजना के क्रियान्वयन में किसी भी प्रकार की लापरवाही, शिथिलता एवं कोताही बरतने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की जायेगी। जिलाधिकारी द्वारा आज समाहरणालय सभाकक्ष में जल-जीवन-हरियाली अभियान द्वारा जिले में क्रियान्वित विभिन्न योजनाओं के कार्य प्रगति की समीक्षा की गयी।
जिलाधिकारी ने कहा कि जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न परिस्थितिकीय चुनौतियों से निपटने, जल को प्रदूषण मुक्त रखने एवं इसके स्तर को बनाये रखे, हरित आच्छादन को बढ़ावा देने, नवकरणीय उर्जा के उपयोग एवं उर्जा की बचत पर बल देने तथा जलवायु परिवर्तन के अनुरूप कृषि एवं सम्बद्ध गतिविधियों को नया आयाम देने के लिए राज्य सरकार के विभिन्न विभागों और विशेषज्ञों के समन्वय से जल-जीवन-हरियाली अभियान को मिशन मोड में कार्यान्वित कराया जा रहा है। इसके तहत सार्वजनिक जल संचयन संरचनाओं यथा-तालाबों, पोखरों, कुंओं, आहरों, पईनों को चिन्हित कर उसका जीर्णोंद्धार कराया जा रहा है। जिन तालाबों, पोखरों, कुंओं का अतिक्रमण कर लिया गया था उसे भी अतिक्रमणमुक्त कराते हुए उसका जीर्णोंद्धार कराया जा रहा है।
समीक्षा के क्रम में कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी द्वारा बताया गया कि उनके विभाग के द्वारा जिले में कुल 315 सार्वजनिक कुंओं का निर्माण कराया जाना है। जिसमें से 240 कुंओं के निर्माण का कार्य प्रारंभ हो गया है तथा 75 कुंओं का निर्माण पूर्ण हो चुका है। इस पर जिलाधिकारी ने कहा कि शेष बचे कुंओं का निर्माण ससमय पूर्ण कर लिया जाय। साथ ही जिले के सभी नगर निकायों को निर्धारित लक्ष्य के अनुसार ससमय चिन्हित कुंओं का जीर्णोंद्धार कराने का निदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया गया है। जिलाधिकारी ने कहा कि वाटर कंजरवेशन हेतु सोख्ता का निर्माण भी अत्यंत आवश्यक है। निर्धारित लक्ष्य के अनुरूप ससमय सोख्ता का निर्माण हर हाल में पूर्ण हो जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुंओं, चापाकलों से भू-गर्भ जल का निकासी कर अलग-अलग कार्यों में उपयोग किया जाता है तथा उपयोग किया हुआ जल बह कर नष्ट हो जाता है। साथ ही आसपास गंदगी/कीचड़ फैल जाता है। सभी सार्वजनिक कुंओं, चापाकलों के किनारे सोख्ता तथा अन्य जल संचयन संरचनाओं का निर्माण युद्धस्तर पर करायी जाय ताकि जल संचयन हो सके तथा भू-गर्भ जल का स्तर बना रहे। साथ ही गंदगी, कीचड़ की समस्या का समाधान भी स्वतः ही समाप्त हो जायेगा। उन्होंने कहा कि छोटी-छोटी नदियों, नालों में एवं पहाड़ी क्षेत्रों के जल संग्रहण क्षेत्रों में चेकडैम एवं जल संचयन के अन्य संरचनाओं का निर्माण भी ससमय पूर्ण कर लेना है। इससे वर्षा, बाढ़ अवधि में अधिक से अधिक जल को रोक रखा जा सकेगा तथा जल संचयन का कार्य भी हो पायेगा। साथ ही इस प्रकार के संचित जल का उपयोग सिंचाई के लिए भी किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि वर्षा के मौसम में छतों के पानी को नष्ट होने से बचाने के लिए छत वर्षा जल संचयन संरचना का निर्माण विभिन्न सरकारी संस्थानों में कराया जा रहा है। जिन भवनों पर अबतक छत वर्षा जल संचयन संरचना का निर्माण नहीं हुआ है, वहां शीघ्र ही इसका अधिष्ठापन कराया जाय। साथ ही निजी घरों में भी इस प्रकार के संरचना के निर्माण हेतु लोगों को जायगरूक एवं प्रेरित करने का निदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया गया है।
जैविक खेती एवं टपकन सिंचाई पद्धति की समीक्षा के क्रम में जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया कि जिले में कुल 112 एकड़ में टपकन सिंचाई पद्धति के द्वारा खेती की जा रही है। इस पर जिलाधिकारी ने कहा कि टपकन सिंचाई पद्धति से होने वाले लाभ के बारे में कृषकों को जागरूक एवं प्रेरित किया जाय। इस पद्धति से कृषकों को अत्यंत ही लाभ मिलता है। साथ ही जैविक खेती के संदर्भ में भी जिले के किसानों के बीच जागरूकता अभियान चलाने का निदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया गया है। जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि वर्षा के जल का संरक्षण एवं संचयन कर समेकित खेती करने के उदेश्य से राज्य सरकार द्वारा योजना का प्रारंभ किया गया है। इस योजना के तहत एक एकड़ जमीन के दहाई भाग में तालाब बनवाकर वर्षा के जल को संरक्षित एवं संचचित करते हुए खेती के साथ बागवानी, वानिकी, मत्स्य पालन आदि करने के लिए जिले के किसान इस योजना का लाभ लेने हेतु आवेदन कर सकते हैं। इस योजना में लागत का 90 प्रतिशत तक अनुदान सरकार द्वारा दिया जायेगा। इच्छुक किसान कृषि विभाग के वेबसाइट dbtagriculture.bihar.gov.inपर आवेदन कर सकते हैं। साथ ही किसानों की सुविधा को ध्यान रखते हुए सरकार द्वारा अब आवेदन की प्रक्रिया को आॅफलाइन भी कर दिया गया है। अब इच्छुक किसान सीधे जिला एवं प्रखंड कृषि कार्यालय में भी आवेदन कर सकते हैं। जिलाधिकारी ने कहा कि बैम्बू कलस्टर के माध्यम से जिले में कई तरह के बैम्बू क्राफ्ट का उत्पादन किया जा सकता है तथा इन कार्यों में लाॅकडाउन के समय वापस लौटे श्रमिकों, व्यक्तियों को रोजगार भी उपलब्ध कराया जा सकता है। इस हेतु जिलाधिकारी द्वारा सभी मनरेगा पीओ को निदेश दिया गया कि जिलें में बैम्बू कलस्टर के निर्माण हेतु अविलंब प्रतिवेदन कार्यकारी विभाग को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे। जिलाधिकारी द्वारा कार्य में शिथिलता बरतने के कारण कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी से शोकाॅज करने का निदेश दिया गया है। साथ ही एक दिन का वेतन कटौती करने का निदेश भी दिया गया है। साथ ही जबतक निर्धारित लक्ष्य ससमय पूर्ण नहीं हो जाता तबतक वेतन निकासी पर भी रोक लगा दी गयी है। वहीं डीपीओ, मनरेगा से भी कार्य में लापरवाही, शिथिलता एवं कोताही बरतने को लेकर शोकाॅज करने एवं एक दिन का मानदेय कटौती करने का निदेश जिलाधिकारी द्वारा दिया गया है। साथ ही कार्य प्रगति धीमी रहने के कारण नरकटियागंज, चनपटिया, रामनगर एवं बगहा नगर निकायों के कार्यपालक पदाधिकारी से भी शोकाॅज करने हेतु निदेशित किया गया है। इस बैठक में अपर समाहर्ता, श्री नंदकिशोर साह, उप विकास आयुक्त, श्री रवीन्द्र नाथ प्रसाद सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी, श्री विजय प्रकाश, निदेशक, डीआरडीए, श्री राजेश सिंह सहित अन्य जिलास्तरीय पदाधिकारी, संबंधित कार्यपालक अभियंता, सभी पीओ, मनरेगा उपस्थित रहे।