एजेंसी
नई दिल्ली (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देशानुसार अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर होने के प्रयास तथा अक्षय ऊर्जा (आरई) परियोजनाओं के लिए अपनी खाली भूमि का उपयोग करने के साथ ही भारतीय रेल एक नए दौर में प्रवेश करने जा रही है। रेलवे अपनी कर्षण शक्ति की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करने के साथ ही जन परिवहन का एक हरित माध्यम बनने के लिए प्रतिबद्ध है। रेल मंत्रालय ने बडे पैमाने पर अपनी खाली भूमि पर सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लिया है। सौर ऊर्जा के उपयोग से रेलमंत्री पीयूष गोयल के उस अभियान को गति मिलेगी, जिसके तहत रेलवे को जीरो कार्बन उत्सर्जन वाला जन परिवहन माध्यम बनाने का लक्ष्य रखा गया है। भारतीय रेलवे की ऊर्जा मांग को सौर परियोजनाओं द्वारा पूरा किया जाएगा, जिससे यह पहला ऐसा जन परिवहन माध्यम बन जाएगा जो पूरी तरह से ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होगा। इससे भारतीय रेलवे को परिवहन का हरित माध्यम बनाने के साथ ही पूरी तरह से ‘आत्म निर्भर’ भी बनाया जा सकेगा।
भारतीय रेलवे हरित ऊर्जा खरीद के मामले में अग्रणी रहा है। इसने एमसीएफ रायबरेली (यूपी) में स्थापित 3 मेगावाट के सौर संयंत्र जैसे विभिन्न सौर परियोजनाओं से ऊर्जा खरीद शुरू की है। भारतीय रेलवे के विभिन्न स्टेशनों और भवनों पर लगभग 100 मेगावाट वाले सौर पैनल पहले से ही चालू हो चुके हैं। इसके अलावा, बीना (मध्य प्रदेश) में 1.7 मेगावाट की एक परियोजना जो सीधे ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम से जुड़ी होगी, पहले ही स्थापित हो चुकी है और वर्तमान में व्यापक परीक्षण के तहत है। इसके 15 दिनों के भीतर चालू होने की संभावना है। भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) के सहयोग से भारतीय रेलवे द्वारा शुरू की गई दुनिया में यह अपनी तरह की पहली परियोजना है। इसमें रेलवे के ओवरहेड ट्रैक्शन सिस्टम को सीधे फीड करने के लिए डायरेक्ट करंट (डीसी) को सिंगल फेज अल्टरनेटिंग करंट (एसी) में बदलने के लिए अभिनव तकनीक को अपनाया गया है। सौर ऊर्जा संयंत्र को बीना ट्रैक्शन सब स्टेशन (टीएसएस) के पास स्थापित किया गया है। यह सालाना लगभग 25 लाख यूनिट ऊर्जा का उत्पादन कर सकता है और रेलवे के लिए हर साल लगभग 1.37 करोड़ रुपये की बचत करेगा।