नई दिल्ली। कांग्रेस में वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट में झगड़े के बीच पार्टी में यूपीए सरकार को लेकर आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरु हो गया है। इस सिलसिले में पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी पार्टी से कई सवाल पूछे हैं। मनीष तिवारी ने ट्वीट कर चार सवाल पूछे हैं। पहला क्या 2014 के चुनाव में कांग्रेस के खराब प्रदर्शन के लिए यूपीए जिम्मेदार थी। दूसरा, क्या यूपीए के अंदर ही साजिश रची गई थी। तीसरा, 2019 की हार की भी समीक्षा होनी चाहिए। चौथा सवाल यह कि पिछले छह साल में यूपीए पर किसी तरह का आरोप नहीं लगाया गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार ने सूचना का अधिकार, खाद्य सुरक्षा कानून और शिक्षा का अधिकार कानून बनाए। ऐसे में अगर मूल्यांकन करना है, तो इसका भी होना चाहिए कि यूपीए के ऊपर जो गलत लांछन लगे, उस राजनीतिक षडयंत्र में कौन-कौन लोग शामिल थे। तत्कालीन सीएजी विनोद राय की क्या मंशा थी। उन्होंने कहा कि यह मूल्यांकन करना चाहिए कि 2014 में इतनी उपलब्धियों के बाद हम क्यों हार गए। इसके बाद 2019 में क्यों हारे। मनीष तिवारी ने कहा कि यह कहना है कि यूपीए ने बर्बाद कर दिया, यह गलत है। उन्होंने कहा कि जब आप दस साल सरकार में रहते हैं, तो लोगों का मन आपसे भर जाता है। भाजपा भी दस साल बाहर रही थी। मनीष तिवारी ने कहा कि अगर कोई अपनी ही सरकार को दोषी ठहराना शुरु कर दे, तो वह निशाना डॉ मनमोहन सिंह पर साध रहा है। उन्होंने कहा कि यूपीए- दो में कुछ नहीं हुआ। जो भी हुआ वह यूपीए एक में हैं। ऐसे में 2009 से 2020 तक अभी तक निचली अदालत से भी किसी को दोषी करार नहीं दिया गया है।दरअसल, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता ने गुरुवार को पार्टी के राज्यसभा सांसदों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक की थी। बैठक में मौजूदा राजनीतिक हालात पर भी चर्चा हुई।
सूत्रों के मुताबिक कपिल सिब्बल ने हार पर मंथन करने की जरुरत पर जोर दिया। पर इस मामले में युवा सांसदों की राय अलग थी। गुजरात के प्रभारी और राज्यसभा सांसद राजीव सातव ने कहा कि हमें यह भी आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि हम 44 पर कैसे आ गए। जबकि 2009 में कांग्रेस के पास दो सौ से अधिक सांसद थे। कपिल सिब्बल की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि जो यूपीए में मंत्री रहे हैं, उन्हें देखना चाहिए कि वह कहां असफल रहे।

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