• लद्दाख के लिए बनेगी नई डॉमिसाइल पॉलिसी

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्‍म करने के बाद इसके अमलीकरण की कवायद जारी है। जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों की पहचान, भाषा और जमीन की रक्षा के लिए सरकार कदम उठाएगी। कानून में बदलाव के लिए संसद से अनुमति ली जाएगी। एक वरिष्‍ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश के लिए डॉमिसाइल पॉलिसी भी बनाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, 5 अगस्‍त 2019 को जो जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्‍म करने की जो कवायद हुई, उसे पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है। एक अधिकारी ने स्थिति साफ करते हुए कहा कि अगर कोई चीज हटी है (कश्‍मीर का खास दर्जा) तो उसकी जगह पर लोकल आबादी की रक्षा के लिए कुछ और तो होना चाहिए। अधिकारी के मुताबिक, कश्‍मीरियों की पहचान, भाषा और उनकी जमीन की रक्षा करने के लिए कदम उठाए जाने वाले हैं। उसने कहा, ‘आपको अपनी पहचान वगैरह की रक्षा के लिए आर्टिकल 370 या ऐसे किसी प्रबंध की जरूरत नहीं है। आपने जम्मू-कश्मीर डॉमिसाइल नियम देखे हैं, यानी स्थानीय लोगों के लिए नौकरियां हैं। और भी कदम उठाए जा रहे हैं।’ सूत्रों ने कहा कि कानून में प्रस्‍तावित बदलाव पहले ही हो गए होते मगर कोविड संकट के चलते देरी हुई।
भाषा के मामले में एक बड़ा सवाल जिसके जवाब की तलाश होगी कि जम्मू-कश्मीर की आधिकारिक भाषा अंग्रेजी के अतिरिक्‍त क्‍या हो, हिंदी या उर्दू? जम्‍मू-कश्‍मीर के संविधान में अंग्रेजी और उर्दू आधिकारिक भाषाएं थीं। जम्मू-कश्मीर रीऑर्गनाइजेशन ऐक्‍ट की धारा 47 के अनुसार, विधायिका एक और भाषा या हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपना सकती है। संभव है कि हिंदी आधिकारिक भाषा हो जाए, खासतौर से जम्‍मू में जो गैर-उर्दू भाषी क्षेत्र है। साथ ही उर्दू को क्षेत्रीय भाषा के रूप में संरक्षण दिया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि भूमि की रक्षा के लिए भी कानून बनाए जा रहे हैं। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे इंतजाम जरूर होंगे ताकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को यह भरोसा रहे कि उनकी जमीन को बाहरी नहीं छीन लेंगे। इससे कश्‍मीर में किसी डेमाग्रैफिक चेंज के डर को कम करने में भी मदद मिलेगी।’

Previous articleभाजपा नेताओं पर लगातार हो रहे आतंकी हमलों से खौफ
Next articleसुशांत सिंह केस मामले में रिया चक्रवर्ती के भाई शौविक से ईडी ने की 18 घंटे तक लंबी पूछताछ

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here