चंडीगढ़। कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के मद्देनजर पंजाब सरकार ने पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने महामारी को देखते हुए किसानों से पराली न जलाने की अपील की है जिसमें कहा गया है कि महामारी के दौर में पराली से उठने वाले धुएं से फेंफड़े संबंधी बीमारियों को झेल रहे लोगों को ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। पंजाब के किसानों को कोरोना के खतरे से आगाह करने के साथ ही सरकार की ओर से चावल उगाने वाले गांवों में आठ हजार नोडल अधिकारी तैनात किए गए हैं। साथ ही पराली प्रबंधन के लिए 23500 मशीनें भी किसानों को मुहैया कराई गई हैं। इसके साथ ही मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया है कि वे लगातार प्रधानमंत्री से पराली प्रबंधन करने वाले किसानों को इसमें लगने वाली लागत की क्षतिपूर्ति दिए जाने की मांग भी कर रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक ये नोडल अधिकारी 15 नवंबर तक गांवों में विभिन्न विभागों के साथ मिलकर किसानों को जागरुक करेंगे। इसके साथ ही उन किसानों की सूची भी तैयार करेंगे जिन्होंने अपनी जमीन ठेके पर दी हुई है। बताया जा रहा है कि ये अधिकारी सुपर एसएमएस सिस्टम के द्वारा ऐसे हर एक किसान को फोन करके चेतावनी देंगे। इसके बावजूद अगर किसी खेत में पराली जलाने की जानकारी मिलती है तो भूमि रिकॉर्ड में उस जमीन पर लाल निशान लगा दिया जाएगा।
इसके साथ ही कृषि विभाग की ओर से टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 भी जारी किया गया है। जिस पर कॉल करके किसान पैडी स्ट्रा मैनेजमेंट के लिए मशीनों की जानकारी भी ले सकते हैं। किसानों को अकेले या समूह में 50 से 80 फीसदी सब्सिडी पर ये मशीनें उपलब्ध कराई जाएंगी। बता दें कि पंजाब में इस बार 27 लाख हैक्टेयर जमीन पर धान की खेती हुई है। जिसमें से सात लाख हैक्टेयर जमीन पर बासमती उगाया गया है। इसी वजह से करीब 16.50 मिलियन टन पराली इस बार होने की संभावना जताई जा रही है। पराली जलने से सबसे ज्यादा प्रभाव दिल्ली पर पड़ता है। हर साल ही आने वाले पराली के धुएं से दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है।