नई दिल्ली। तेज बुखार, सूखी खांसी, गले में सूजन, थकावट और सांस में तकलीफ कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षण हैं। कोविड-19 के मरीजों में हाल ही में कन्फ्यूजन, लॉस ऑफ स्मैल, व्यावहारिक बदलाव जैसे कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी देखने को मिले हैं। वायरस की चपेट में आए अस्पताल में दाखिल कुछ मरीजों की मानसिक स्थिति पर इसका बुरा असर पड़ा है। स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज और मेमोरी लॉस जैसे कई खतरनाक प्रभाव अब कोरोना वायरस के मरीजों में देखे जा रहे हैं। जॉन्स होपकिंस यूनिवर्सिटी के एमडी रॉबर्ट स्टीवन्स कहते हैं, कोविड-19 यूनिट में उन्होंने तकरीबन आधे मरीजों में न्यूरोलॉजिकल लक्षण देखे हैं। वैज्ञानिक फिलहाल ये समझने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर वायरस का दिमाग पर बुरा असर क्यों पड़ रहा है।
रॉबर्ट स्टीवंस ने जॉन्स हॉपकिंस में छपे अपने एक आर्टिकल में उन वैज्ञानिकों के सिद्धांतों को सूचीबद्ध किया है जो इस विषय पर शोध कर रहे हैं। आर्टिकल के मुताबिक पूरी दुनिया में कोविड-19 के मामलों में दिमाग से जुड़ी तमाम स्थितियां देखने को मिल सकती हैं। इनमें कन्फ्यूजन, होश खोना, दौरा पड़ना, स्ट्रोक, लॉस ऑफ स्मैल, लॉस ऑफ टेस्ट, सिरदर्द, फोकस ना कर पाना और व्यावहारिक बदलाव जैसी कई दिक्कतें शामिल हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, कोविड-19 के कुछ मरीजों में तो ‘कॉमन पेरिफेरल नर्व’ से जुड़ी समस्या भी देखी गई है, जो पैरालाइज और रेस्पिरेटरी फेलियर की वजह बन सकती है। कोविड-19 की बीमारी का इंसान के दिमाग के साथ क्या कनेक्शन है? इसे लेकर जॉन्स होपकिंस की मौजूदा स्टडी में चार प्रमुख बातें बताई गई हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, अगर वायरस दिमाग में दाखिल होने में सक्षम है तो गंभीर और अचानक संक्रमण का खतरा काफी बढ़ सकता है। चीन और जापान में कुछ ऐसे मामले देखे गए थे, जहां वायरस का जेनेटिक मैटेरियल स्पाइनल फ्लूड में पाया गया था। वहीं, फ्लोरिडा में एक केस ऐसा भी देखा गया था, जहां दिमाग की कोशिकाओं में वायरल पार्टिकल्स मिले थे। ऐसा सिर्फ रक्त प्रवाह और तंत्रिका में वायरस के दाखिल होने से संभव हो सकता है। नॉवेल कोरोना वायरस से लड़ने पर बॉडी इम्यून सिस्टम पर भी इसका असर पड़ता है। इनफ्लेमेटरी रिस्पॉन्स के दौरान ‘मलाडैप्टिव’ के प्रोड्यूस होने से बीमारी में शरीर के ऊतक और अंग डैमेज होते हैं।
कोविड-19 का शिकार होने पर कई तरह के साइकोलॉजिकल बदलाव भी देखने को मिलते हैं। तेज बुखार से लेकर शरीर के विभिन्न अंगों में ऑक्सीजन की कमी ब्रेन डिसफंक्शन की वजह बन सकती है। कोविड-19 के कई मामलों में मरीज का बेहोश होना या कोमा में चले जाने का खतरा भी देखा गया है। कोविड-19 की बीमारी में ब्लड क्लॉटिंग सिस्टम (खून का थक्का बनना) की समस्या भी बेहद असामान्य है। हालांकि एक सामान्य व्यक्ति कि तुलना में कोविड-19 के मरीजों में ब्लड क्लॉटिंग की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। ब्लड क्लॉट्स इंसान के फेफड़ों और शरीर की गहरी नसों में हो सकते हैं, जिससे रक्त प्रवाह बंद हो सकता है। यदि ब्लड क्लॉट दिमाग तक जाने वाली धमनियों का रास्ता बंद कर दें तो स्ट्रोक की समस्या हो सकती है।

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