नई दिल्ली। भारत ने चीन से आयातित हाइड्रोफ्लोरोकार्बन (एचएफसी) ब्लेन्ड्स और डेकोर पेपर के मामले में डंपिंग रोधी जांच शुरू की है। वाणिज्य मंत्रालय की जांच इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने एचएफसी ब्लेंड्स और डेकोर पेपर की चीन से कथित डंपिंग की जांच शुरू की है। एचएफसी ब्लेंड्स का उपयोग वाणिज्यिक और घरों में लगनेवाले एयर कंडीशनर में होता है जबकि डेकोर पेपर का इस्तेमाल फर्नीचर, फ्लोर आदि पर किया जाता है। एसआरएफ ‎लिमिटेड ने डीजीटीआर के समक्ष आवेदन देकर एचएफसी ब्लेंड्स के आयात को लेकर डंपिंग रोधी जांच का आग्रह किया था। वहीं आईटीसी ‎लिमिटेड ने आवेदन देकर डेकोर पेपर के पड़ोसी देश से आयात की डंपिंग रोधी जांच का अनुरोध किया था। दोनों कंपनियों ने इन उत्पादों की डंपिंग का आरोप लगाया है जिससे संबंधित उद्योगों पर असर पड़ रहा है।
डीजीटीआर की अलग-अलग दो अधिसूचनाओं के अनुसार आवेदनों और जरूरी साक्ष्यों के आधार पर महानिदेशालय ने जांच शुरू की है। जांच में अगर यह साबित होता है कि दोनों उत्पादों की डंपिंग की जा रही है और उससे घरेलू कंपनियों के हितों को नुकसान पहुंच रहा है तो डीजीटीआर चीन से आयातित इन उत्पादों पर डंपिंग रोधी शुल्क लगा सकता है। डीजीटीआर नायलॉन बनाने में काम आने वाले काप्रोलैक्टम के यूरोपीय संघ, दक्षिण कोरिया, रूस और थाइलैंड से कथित डंपिंग की भी जांच कर रहा है। गुजरात स्टेट फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स ने इसके लिए आवेदन किया है। इसके अलावा महानिदेशालय इंडोरामा इंडस्ट्रीज ‎लिमिटेड की शिकायत पर सिंगापुर से आयातित एलास्टोमेरिक फिलामेंट यार्न की कथित डंपिंग की भी जांच कर रहा है। डंपिंग रोधी जांच में इस बात का पता लगाया जाता कि क्या सस्ते आयात से कहीं घरेलू उद्योगों को नुकसान तो नहीं हो रहा। इससे निपटने के लिए डंपिंग रोधी शुल्क लगाया जाता है।

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