लखनऊ। हाथरस गैंगरेप और मर्डर केस में जारी राजनीतिक घमासान के बीच देश की सुरक्षा एजेंसियों को दंगा कराने के अनपुट मिले हैं। जांच एजेंसियों के मुताबिक, योगी सरकार को दंगों की आग में झोंकने के लिए राष्ट्रविरोधी तत्वों ने अमेरिका की तर्ज पर रातों रात जस्टिस फॉर हाथरस विक्टिम के नाम से एक वेबसाइट बनाई थी।
इस वेबसाइट के जरिए लोगों के बीच हाथरस से जुड़ी सूचनाएं प्रचारित कर माहौल को बिगाड़ने की कोशिश की जा रही थी। इतना ही नहीं इस वेबसाइट के जरिए अफवाहें फैलाने के लिए विदेशों से फंडिंग भी की गई थी। जांच एजेंसियों के छापे के बाद फ़िलहाल वेबसाइट बंद हो गई है, लेकिन पुलिस के पास इसके सारे कंटेंट मौजूद हैं। जांच एजेंसियों के मुताबिक, वेबसाइट के जरिए विरोध प्रदर्शन की जानकारी दी जा रही थी।
इस वेबसाइट के तार एमनेस्टी इंटरनेशनल से जुड़े होने के भी संकेत मिले हैं। इस्लामिक देशों से फंडिंग की भी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों को मिली है। वेबसाइट में फर्ज़ी आईडी से सैकड़ों लोगों को जोड़ा गया और मदद के बहाने फंडिंग भी जुटाई गई। इतना ही नहीं कुछ नामचीन लोगों के सोशल मीडिया एकाउंट का भी इस्तेमाल किया गया। वेबसाइट बनाने में पीएफआई और एसडीपीआई की भूमिका भी सामने आ रही है।
वेबसाइट पर विरोध-प्रदर्शन की आड़ में देश और प्रदेश में दंगे कराने और दंगों के बाद बचने का तरीका बताया गया था। इतना ही नहीं अफ़वाहें फैलाने के लिए मीडिया और सोशल मीडिया के दुरुपयोग के भी अहम सुराग मिले हैं। अमेरिका में हुए दंगों की तर्ज पर ही यूपी की घटना को लेकर देश भर में जातीय दंगे कराने की तैयारी थी। बहुसंख्यक समाज में फूट डालने के लिए मुस्लिम देशों और इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों से पैसा आया था। सीएए हिंसा में शामिल उपद्रवियों और राष्ट्रविरोधी तत्वों ने योगी से बदला लेने के लिए यह वेबसाइट बनाई थी। वेबसाइट में यह भी बताया गया था कि चेहरे पर मास्क लगाकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को विरोध-प्रदर्शन की आड़ में कैसे निशाना बनाया जा सकता है।

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