• मामला मेडिकल छात्रा पायल तडवी आत्महत्या का

नई दिल्ली मेडिकल छात्रा पायल तडवी आत्महत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आरोपित तीन महिला चिकित्सकों को पढ़ाई पूरी करने की अनुमति दे दी। कोर्ट का उद्देश्‍य आरोपित का भविष्‍य सुरक्षित करना है। शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस आदेश को शिथिल कर दिया, जिसमें उसने सशर्त जमानत देते हुए कहा था कि वे कॉलेज में प्रवेश नहीं करेंगी।
शीर्ष अदालत के जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि इन डॉक्टरों को अपनी पढ़ाई पूरी करने की अनुमति दी जानी चाहिए। कहा कि वे इस दौरान किसी भी गवाह को प्रभावित करने का प्रयास नहीं करेंगी। इन्हें ट्रायल कोर्ट के समक्ष प्रत्येक तारीख को उपस्थित होना होगा। बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए आरोपित चिकित्सकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह निर्णय दिया है। महाराष्ट्र सरकार ने याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि आरोपितों पर जब तक सुनवाई खत्म नहीं हो जाती, उन्हें पढ़ाई पूरी करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हालांकि, बॉम्‍बे हाईकोर्ट ने महिला डॉक्‍टरों को कोर्स पूरा करने की इजाजत नहीं दी थी, लेकिन कई बार ऐसा देखने को मिला है, जब हाई कोर्ट के फैसले सुप्रीम कोर्ट में उलट जाते हैं। पायल तडवी आत्महत्या केस में भी कुछ यही देखने को मिल रहा है।
उल्‍लेखनीय है कि आरोपित यदि बेगुनाह साबित होते हैं और कोर्ट की सुनवाई के दौरान इन्‍हें पढ़ाई पूरी करने की इजाजत नहीं दी जाती, तो ऐसी स्थिति में इनका करियर बर्बाद हो सकता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी पहलुओं को ध्‍यान में रखते हुए यह फैसला सुनाया है। फिर जब तक किसी का जुर्म साबित न हो जाए, तब तक उसे दोषी मानकर उसके साथ अपराधियों वाला व्‍यवहार करना उचित नहीं है।

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