पटना । बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश राज में शराबबंदी कानून को लेकर जमकर बहस छिड़ी है। यह एक बड़ा मुद्दा तब बनकर उभरा जब कांग्रेस ने सत्ता में आने पर इस कानून की समीक्षा की बात कही। इस मसले पर पहले से सीएम नीतीश को नाकाम बता रहे चिराग पासवान ने अपने हमले और तेज कर दिये तो नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी लगातार सीएम नीतीश को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की। अब एनडीए में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने ऐसा बयान दे दिया है जो सीएम नीतीश कुमार के लिए परेशानी का सबब हो सकती है और बिहार की राजनीति फिर से गरम हो सकती है। दरअसल, मांझी ने मीडिया से बात करते हुए शराबबंदी कानून को गरीबों के खिलाफ बता दिया है और इसकी समीक्षा करने की बात कह दी है।
जीतन राम मांझी ने अपने बयान में कहा कि ऐसे तो मैंने शराबबंदी का कभी विरोध नहीं किया है, लेकिन कानून के इम्प्लीमेंटेशन में निचले स्तर पर गड़बड़ी है। निचले स्तर पर सरकार की नजर नहीं जा रही है और सिर्फ गरीबों को पकड़ा जा रहा है। बड़े-बड़े तस्करों पर कार्रवाई नहीं हो रही है। पूर्व सीएम ने यह भी कहा कि सरकार बनेगी तो हम शराबबंदी में पकड़े गए गरीबों की मदद करेंगे और गरीबों पर हुए मुकदमे की समीक्षा करेंगे। मांझी ने कहा कि ज्यादातर ऐसे लोग पकड़े गए जो सिर्फ शराब पी रहे थे। तस्करी करने वाले लोग नहीं पकड़े गए हैं। मुझे उम्मीद है सरकार की पहल से शराबबंदी में फंसाये गए लोग छूट जाएंगे।
बता दें कि बीते 21 अक्टूबर को कांग्रेस ने अपनी पार्टी का घोषणा पत्र जारी करते हुए नीतीश सरकार पर शराब माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया था। पार्टी ने एक आंकड़ा भी सामने रखा था, जिसमें कहा गया था कि एक अप्रैल 2016 से लेकर 31 अगस्त 2020 तक तीन लाख से अधिक लोग इस कानून के तहत गिरफ्तार हो चुके हैं। बिहार में कांग्रेस की सरकार बनी तो इस कानून की समीक्षा की जाएगी और निर्दोष लोगों को जेल से बाहर किया जाएगा। ज्ञात हो कि हाल में ही लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा था कि वे शराबबंदी के नाम पर बिहार के युवाओं को तस्कर बना रहे हैं। बिहारी युवक रोजगार के अभाव में शराब तस्करी के तरफ बढ़ रहा है, यह बिहार के मुख्यमंत्री के साथ अन्य सभी मंत्रियों को पता है कि राज्य में बेरोजगारी में वृद्धि के बीच शराब की तस्करी बढ़ रही है।

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