नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन के बीच विगत छह माह से जारी गतिरोध खत्म होने के आसार अब नजर आने लगे हैं। दोनों देशों के बीच एक प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है जिसके तहत तीन चरणों में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटेंगी और एलएसी पर मई से पहले की स्थिति बहाल होगी। सेना के सूत्रों ने बताया कि दोनों देशों की सेनाओं के बीच बनी सहमति के बाद तीन चरणों में सेनाओं को पीछे हटाने पर सहमति बन चुकी है। उम्मीद है कि सैन्य कमांडरों की जल्द होने वाली नौवें दौर की बैठक में इस प्रस्ताव पर दोनों देशों की मुहर लग जाएगी। सूत्रों के अनुसार, इस प्रस्ताव के तहत पहले चरण में दोनों देश एलएसी पर जमा टैंकों, तोपों आदि रक्षा साजो सामान को पीछे हटाएंगे। दूसरे चरण में चीनी सेना फिंगर आठ तक पीछे हटेगी। अभी वह फिंगर-4 के करीब के कुछ इलाकों में मौजूद है। जबकि भारत फिंगर-2 तक पीछे हटेगा, जहां वह मई से पहले की स्थिति में मौजूद था। इसके बाद तीसरे चरण में दोनों देशों की सेनाएं विवाद वाले स्थानों से पीछे हटेंगी। प्रस्ताव के तहत दोनों देशों की सेनाएं एक तय प्रक्रिया के तहत एक दूसरे द्वारा उठाए जा रहे कदमों की निगरानी करेंगी। एक चरण के सफल होने के बाद ही दूसरे चरण पर आगे बढ़ा जाएगा। प्रस्ताव के तहत निगरानी के लिए एक संयुक्त निगरानी तंत्र भी विकसित किया जाएगा, जिसमें सैन्य एवं विदेश मंत्रालय के अधिकारी शामिल किए जाएंगे। दोनों देशों के 50-50 हजार जवान एलएसी और इसके करीब के क्षेत्रों में एकत्र हैं तथा कुछ स्थानों पर सेनाएं 300 मीटर की दूरी पर आमने-सामने मौजूद हैं। भारत ने कई चोटियों पर पोजीशन ले रखी है। पूर्वी लद्दाख के इन क्षेत्रों में सर्दियां दस्तक दे चुकी है तथा पारा -20 डिग्री तक नीचे जा चुका है। दोनों देशों की सेनाओं के रोटेशन भी शुरू हो चुके हैं जिसमें एक निश्चित अवधि के बाद जवानों को बदल दिया जाता है। क्योंकि लगातार ऊंचाई और सर्द इलाकों में सैनिकों को ज्यादा समय तक तैनात नहीं किया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि यदि अगले सप्ताह होने वाली बैठक में इस प्रस्ताव पर दोनों देशों के सैन्य कमांडर हस्ताक्षर करते हैं तो फिर एक महीने के भीतर दिसंबर मध्य तक एलएसी पर शांति कायम हो सकती है तथा मई से पूर्व की स्थिति बहाल हो सकती है।

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