नई दिल्ली । देश में पहली बार 15 अगस्त 1995 को इंटरनेट सर्विस को आम लोगों के लिए खोला गया था। इसके 25 साल बाद 31 अगस्त, 2020 को देश में इंटरनेट कनेक्शन की संख्या 75 करोड़ कनेक्शन पहुंच गई। पिछले चार सालों में देश में इंटरनेट कनेक्शंस की संख्या दोगुना से भी अधिक हुई है। मार्च 2016 में इसकी संख्या 34 करोड़ थी। मोदी सरकार ने 2015 में डिजिटल इंडिया प्रोग्राम की शुरुआत की थी। 75 करोड़ इंटरनेट कनेक्शनों में से अधिकांश शहरी इलाकों में हैं और मोबाइल फोन तथा डोंगल जैसे वायरलेस डेवाइस के जरिए इसका इस्तेमाल हो रहा है। टेलीकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (ट्राई) के ताजा आकंड़ों के मुताबिक जून 2020 के अंत तक देश में 74.9 करोड़ इंटरनेट कनेक्शन थे। इनमें से 5.08 करोड़ नैरोबैंड और 69.2 करोड़ ब्रॉडबैंड कनेक्शन थे।
अगस्त 2020 के अंत में इन कनेक्शनों की संख्या 71 करोड़ से अधिक थी। अगर नैरोबैंड की संख्या जून के स्तर पर भी बनी रहे तो भी अगस्त के अंत में देश में कुल इंटरनेट कनेक्शन की संख्या 76.7 करोड़ बैठती है। दोनों डेटा पिछले हफ्ते जारी किए गए। देश में इंटरनेट कनेक्शंस की संख्या सितंबर 2018 में 50 करोड़ पहुंची थी। उसके बाद से देश में हर महीने करीब 86 लाख नए कनेक्शन जुड़े हैं। देश में इंटरनेट कनेक्शंस की कुल संख्या अगस्त तक उपलब्ध है लेकिन ब्रेक अप्स केवल 30 जून 2020 तक ही उपलब्ध है। इसके मुताबिक देश में 61 फीसदी कनेक्शन शहरी इलाकों में थे और उनमें से 97 फीसदी वायरलेस थे। कुल इंटरनेट कनेक्शंस में से 26 करोड़ यानी 35 फीसदी पांच राज्यों कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश (तेलंगाना सहित), गुजरात और महाराष्ट्र में हैं। आंकड़ों के मुताबिक 30 जून, 2020 तक रिलायंस जियो की सबसे अधिक बाजार हिस्सेदारी है। उसके बाद एयरटेल और वोडाफोन का नंबर है।
सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) एसपी कोचर ने कहा कि हमारे 97 फीसदी ब्रॉडबैंड कनेक्शन मोबाइल पर हैं। आबादी के हिसाब से नेटवर्क कवरेज अभी 50 फीसदी के आसपास है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। और नेटवर्क शुरू होने चाहिए। यह सस्ता होना चाहिए और सेवा की गुणवत्ता भी सुनिश्चित की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को टेलीकॉम को बुनियादी सेक्टर के रूप में सपोर्ट करना चाहिए।