नई दिल्ली । दिल्ली के जल मंत्री सतेंद्र जैन ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के कार्यों की समीक्षा बैठक की। जिसमें 24 घंटे पीने के पानी और यमुना को स्वच्छ करने के लक्ष्य पर चर्चा हुई। यह समीक्षा बैठक लगभग 5 घंटे तक चली, जिसमें पिछले महीने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के सामने डीजेबी द्वारा बताई गई समय-सीमा पर भी चर्चा हुई। इस दौरान आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने और कार्य में तेजी लाने के लिए सुझाव दिए गए। दिल्ली को मिलने वाले पीने योग्य पानी में हरियाणा से लगातार होने वाला अमोनिया प्रदूषण के समाधान के लिए भी महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। जल मंत्री सतेंद्र जैन ने चंद्रावल वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) और वजीराबाद डब्ल्यूटीपी में ओजोन आधारित अमोनिया ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया। ये दो डब्ल्यूटीपी यमुना नदी के कच्चे पानी पर निर्भर हैं और अमोनिया के प्रदूषण से बुरी तरह प्रभावित हैं। वर्तमान डब्ल्यूटीपी कम अमोनिया प्रदूषण को उपचार कर सकते हैं, लेकिन हाल के दिनों में यह देखा गया है कि हरियाणा द्वारा अमोनिया की बड़ी मात्रा को नदी में फेंक दिया जाता है, जिसके कारण डब्ल्यूटीपी को बंद करना पड़ता है। ओजोनेशन यूनिट की स्थापना के बाद, डब्ल्यूटीपी अमोनिया के साथ-साथ कई अन्य रासायनिक और जैविक प्रदूषकों का उपचार करने में सक्षम होंगे। इस दौरान 24 घंटे पीने के पानी की आपूर्ति से संबंधित सभी प्रमुख परियोजनाओं पर चर्चा की गई। मंत्री ने पीने के पानी का अतिरिक्त उत्पादन करने के लिए मौजूदा 16 मिलियन गैलन प्रतिदिन (एमजीडी) रीसाइक्लिंग प्लांटों को उन्नत कर हैदरपुर में 16 एमजीडी का उत्पादन बढ़ाने का निर्देश दिया। यह परियोजना दिसंबर 2021 तक पूरी हो जाएगी। इस हस्तक्षेप के कारण डीजेबी के बजट का 88 करोड़ रुपया बचाया जा सकेगा। इसी तरह के तकनीकी समाधान भविष्य में डीजेबी द्वारा द्वारका डब्ल्यूटीपी, नांगलोई डब्ल्यूटीपी और ओखला डब्ल्यूटीपी में इस्तेमाल किया जाएगा। दूषित जल को टैप कर उपचार के लिए चिल्ला एसटीपी को भेजा जाएगा और चिल्ला एसटीपी से जल प्रणाली को साफ पानी से भर दिया जाएगा। शाहदरा लिंक ड्रेन एनएच-24 पर रेलवे ट्रैक से शुरू होती है और दिल्ली सीमा तक दिल्ली नोएडा राजमार्ग के समानांतर चलती है, जिसके बाद इसका यमुना में विलय होता है। यह रेतीली मिट्टी पर स्थित है और इसमें ग्राउंड वॉटर रिचार्ज की बहुत अधिक संभावना है। एसटीपी से साफ पानी का उपयोग पूर्वी दिल्ली के कम होते भूजल स्तर को फिर से बढ़ाने के लिए किया जाएगा। लैंडस्केपिंग, वॉकवे और इको-सेंसिटिव प्लांटेशन जैसे घटक के साथ नाली को सार्वजनिक स्थान पर भी विकसित किया जाएगा। यह परियोजना दिसंबर 2022 तक पूरी हो जाएगी

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