नई दिल्ली । नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 26वें दिन बाद भी जारी है। किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ एक दिन की भूख हड़ताल का ऐलान किया है। स्वराज अभियान के नेता योगेंद्र यादव ने कहा है कि 21 दिसंबर को कृषि कानूनों के खिलाफ सभी धरना स्थलों पर किसान 24 घंटे का उपवास शुरू करेंगे। वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता जगजीत सिंह डलेवाला ने सभी किसानों से अपील की है कि 27 दिसंबर को सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान पूरे समय थाली पीटते रहें।उन्होंने कहा हम सभी से अपील करते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम के दौरान 27 दिसंबर को जब तक वो बोलते रहें, सभी अपने घरों से थाली बजाएं भारतीय किसान यूनियन नेता जगजीत सिंह डलेवाला ने इसके अलावा 25 से 27 दिसंबर तक किसानों से हरियाणा के नाकों पर टोल नहीं देने की भी अपील की है। यानी कि आने वाले समय में किसानों के आंदोलन में तेजी आने वाली है। किसानों के आंदोलन के बीच पड़ रहे किसान दिवस को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने सभी लोगों से अपील करते हुए कहा है कि 23 दिसंबर को कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन को देखते हुए सभी लोग अपने दोपहर का खाना छोड़ें. वहीं, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के नेता जगजीत सिंह डलेवाला ने भी हरियाणा के किसानों को लेकर कहा है कि हरियाणा के सभी किसान 21 दिसंबर को भूख हड़ताल करेंगे, जबकि 25 से 27 दिसंबर तक नाकों पर टोल नहीं देंगे. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससी) ने प्रधानमंत्री और कृषि मंत्री के उन बयानों के खिलाफ खुला पत्र जारी किया है. पीएम मोदी और कृषि मंत्री तोमर को हिंदी में अलग-अलग लिखे गए पत्रों में समिति ने कहा कि सरकार की यह गलतफहमी है कि तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को विपक्षी दलों द्वारा प्रायोजित किया जा रहा है. किसान संगठन ने प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में कहा सच्चाई यह है कि किसानों के आंदोलन ने राजनीतिक दलों को अपने विचार बदलने के लिए मजबूर किया है और आपके (प्रधानमंत्री) आरोप कि राजनीतिक दल इसे (विरोध प्रदर्शन) पोषित कर रहे हैं, वह गलत है।समिति ने कहा किनए कानूनों से कृषि पर निर्भर 70 करोड़ किसानों की आजीविका दांव पर लग गई है। ये कानून खेती के बाजार से सरकारी नियंत्रण हटा देंगे और कंपनियां, बड़े व्यावसायी अन्न का मुक्त भंडारण शुरू कर देंगे। बिजली की दर में छूट समाप्त कर दी जाएगी. आंदोलनकारी किसानों के विपक्षी दलों की ओर से संगठित होने के आरोपों को लेकर समिति ने याद दिलाया है कि पंजाब में आंदोलन के जोर पकड़ने पर सियासी दल समर्थन देने पहुंचे।













